गुरू
गुरू
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गुरू के चरणों में ही सफ़लता का द्वार है I
हे गुरू तेरे श्रीचरणों में प्रणाम बारंबार है. I
निर्मल करता मन को सदा रखे निष्पाप I
आज गुरू ज्ञान का चारों ओर आलाप I
कहीं चांद कभी सूरज कहीं गुरू आकाश I
नर को सद् मार्ग दे, गुरु करे सफल प्रयास
सद्बुद्धि मन भरे,मन रखे न कभी क्षोभ I
परमार्थ पर पग धरे, रंच नहीं मन लोभ I
जिसके चरण रज से ज्ञानी होते सुजान I
मन अंतर्मन शांत रख करते जग कल्यान I