शिक्षक
शिक्षक
चमकते है वो सूरज की तरह
हजारों बच्चों के जीवन को रौशन करते है
भविष्य देश के नौनिहालों के
उनके हाथों ही तो संवरते है
चाह नहीं दौलत की उनको
निस्वार्थ भाव से अपना कर्म करते हैं
कोई और नहीं, वो तो हमारे शिक्षक हैं
मात-पिता ने बचपन में चलना, बोलना सिखलाया
वो शिक्षक ही तो हैं जिन्होंने
इस संसार से हमारा परिचय करवाया
हम क्या हैं क्या कर सकते हैं
हमको काबिल बनाने की खातिर
वो सर्वस्व न्यौछावर करते हैं
संसार में हमें पहचान दिलाकर
गुमनामी में खोकर वो रह जाते हैं
हमारी सफलता को देख देखकर
वो तो खुश हो जाते हैं
मानव में महामानवों के रूप वाले
कोई और नहीं वो शिक्षक हैं
निस्वार्थ भाव से अपना कर्म करते हैं
कोई और नहीं, वो तो हमारे शिक्षक हैं
