अहम भाव से बाहर नहीं आ पाती स्वंय में स्व को बांधकर स्वंय को खोज नहीं पाती अहम भाव से बाहर नहीं आ पाती स्वंय में स्व को बांधकर स्वंय को खोज नहीं पाती
सिर्फ वही बदल सकता है सपनों को हकीक़त में, जो शख्स जिंदादिल रहकर अपनी जान देता है.. सिर्फ वही बदल सकता है सपनों को हकीक़त में, जो शख्स जिंदादिल रहकर अपनी जान देता ...
सोच समझकर मतदान कीजियें। सोच समझकर मतदान कीजियें।
तन की डाली पर तबाही फल रही है। तन की डाली पर तबाही फल रही है।
इस जहाँ में निर्भीक बनो तुम सर्वत्र तुम्हारी जय हो, इस जहाँ में निर्भीक बनो तुम सर्वत्र तुम्हारी जय हो,
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा. कर्म प्रधान विश्व रचि राखा.