इस जहाँ में निर्भीक बनो तुम सर्वत्र तुम्हारी जय हो, इस जहाँ में निर्भीक बनो तुम सर्वत्र तुम्हारी जय हो,
निकल चूके प्राण अब देह हो गई शिथिल। अश्रु की धारा ले रोई प्रिये, और रोया। निकल चूके प्राण अब देह हो गई शिथिल। अश्रु की धारा ले रोई प्रिये, और रोया।
हाँ तुम बढ़ रहे हो पर साथ हम शिथिल हो रहे हैं। हाँ तुम बढ़ रहे हो पर साथ हम शिथिल हो रहे हैं।
जिन पदों के वास्ते कोई शिखर अंतिम नहीं है जिन पदों के वास्ते कोई शिखर अंतिम नहीं है
मेरी चाहत की कोई परवाह नहीं, मुझे तो बस तेरा दीदार चाहिए।। मेरी चाहत की कोई परवाह नहीं, मुझे तो बस तेरा दीदार चाहिए।।
आधा जीवन बीता यूँ ही पता नहीं कल क्या घट जाए आधा जीवन बीता यूँ ही पता नहीं कल क्या घट जाए