व्योम ने संचित किया जिसको पयोधर वक्ष में व्योम ने संचित किया जिसको पयोधर वक्ष में
जीवन डगमग,ऐसे डोले, ज्यों काल प्रकट,बम बम बोले, जीवन डगमग,ऐसे डोले, ज्यों काल प्रकट,बम बम बोले,
ना वो बुलबुला नहीं आत्मज के अपनेपन का व्योम सराबोर है। ना वो बुलबुला नहीं आत्मज के अपनेपन का व्योम सराबोर है।
शांत व्योम में तड़ित सी उज्ज्वल मुस्कान तेरी। शांत व्योम में तड़ित सी उज्ज्वल मुस्कान तेरी।
धरती शोभा को पाई, रात को फैली जुन्हाई। धरती शोभा को पाई, रात को फैली जुन्हाई।
खंजन की शुभ बेला शनै:शनै:..... पांँव पसार भू पर यूंँ मुस्कुराई..... खंजन की शुभ बेला शनै:शनै:..... पांँव पसार भू पर यूंँ मुस्कुराई.....