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Sri Sri Mishra

Others

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शुभ वेला

शुभ वेला

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खंजन की शुभ बेला शनै:शनै:.....

पांँव पसार भू पर यूंँ मुस्कुराई.....

सतरंगी आभा स्वर्णमई.....

व्योम नील से छटा धरा पर छाई.....

रजनीगंधा पुष्प की सोंधी मादकता में.....

भंँवरों की अलसाई गुनगुन छाई.....

पंँख फैलाकर खग और विहग ने......

प्रकृति धरा को कोयल की कूक सुनाई....

शीतल अमृत बारिश की फुहारों ने....

लेकर ठंडी वायु स्पर्श समेत खुशहाली जो लहराई..

इंद्रधनुष के सातों वर्ण हैं चमक रहे....

हर रंग अपनी छटा कुछ ना कुछ कह रहे..

तारों ने पग पाँव धरे फिर शनै: शनै:...

मनमोहक चंदा की चंद्रकिरण है फिर खिलखिलाई...


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