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Sri Sri Mishra

Others

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मेरे जज्बात

मेरे जज्बात

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अहा.... याद आ गया वह रेडियो का ज़माना.....

संग जिसके होता था दोपहर रात का खाना...

 सुबह की मीठी चौपाइयांँ जब कानों में घुलती थी....

 अंगड़ाई ले मुस्कुराहट संग आंँख तभी खुलती थी...

 ये आकाशवाणी है

 हम विविध भारती से बोल रहे हैं

 याद कर यह आज भी कितने दिल खिल रहे हैं.....

 वह चौपाल कार्यक्रम का आना....

 जाने कितने गुण और नुस्खे दे जाना....

 लोक संगीत पर पैरों का थिरक जाना.....

भूले बिसरे गीत का बेसब्री से इंतजार करना....

शहद सी मीठी आवाज़ मुस्कुराते रफ़ी जी का तराना

फिर दिनभर उन्हीं के गीतों का गुनगुनाना....

गूंँजती कोयल सी लता जी की वो आवाज़....

बजते हैं आज भी दिल के तार संगीत साज़..

जे़हन में ताज़ा है वो गीत न भूलने वाला....

आएगा आने वाला....

वो स्वर्ण सुनहरे पल सुरक्षित हैं अब भी कहीं..

वो रेडियो की छाप मिट जाए इतना आसान नहीं...



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