मनुष्य रूप धारण करूँ मैं हर लूँ तुम्हारे मैं दुःख सब। मनुष्य रूप धारण करूँ मैं हर लूँ तुम्हारे मैं दुःख सब।
सबकी आस्था- विश्वास।। आकाशवाणी,आकाशवाणी।। सबकी आस्था- विश्वास।। आकाशवाणी,आकाशवाणी।।
लिफाफे को जब उठाया चिट्ठी का मज़ा आया लिफाफे को जब उठाया चिट्ठी का मज़ा आया
अहा.... याद आ गया वह रेडियो का ज़माना.... अहा.... याद आ गया वह रेडियो का ज़माना....
आकाशवाणी हुई, भीतर चले आइए, आकाशवाणी हुई, भीतर चले आइए,
स्त्री कि कोई परिभाषा नहीं है, क्योंकि स्त्री खुद एक परिभाषा है। स्त्री कि कोई परिभाषा नहीं है, क्योंकि स्त्री खुद एक परिभाषा है।