समझना जरूरी है कीमत प्रकृति की, वक्त गुजर रहा है मुट्ठी में बंद रेत की तरह।। समझना जरूरी है कीमत प्रकृति की, वक्त गुजर रहा है मुट्ठी में बंद रेत की तरह।।
नदी में चलती नाव, खेत में काम करने का चाव। नदी में चलती नाव, खेत में काम करने का चाव।
दरवाज़े पर रहती हैं एक परछाईं, अभी तक नहीं घर गए तुम।। दरवाज़े पर रहती हैं एक परछाईं, अभी तक नहीं घर गए तुम।।
गाँव से दूर रहकर शहर में वह पढ़ाई करती, एकांत रातों में वह अपने घर को याद करती! उन स्वेटरों को स्पर... गाँव से दूर रहकर शहर में वह पढ़ाई करती, एकांत रातों में वह अपने घर को याद करती! ...
मेरे नाम के ही उस गाँव में, रुकना नहीं वहाँ भी बस तू चला चल। मेरे नाम के ही उस गाँव में, रुकना नहीं वहाँ भी बस तू चला चल।
हाय राम मैं अपनी ही, बीवी का सताया हूँ। हाय राम मैं अपनी ही, बीवी का सताया हूँ।