एक पति की व्यथा कथा
एक पति की व्यथा कथा
वह अतीत था जब सरपट,
मेरी गाड़ी चलती थी।
अब बीवी के आगे मेरी,
दाल कदापि नहीं गलती है।
वो मैडम इंटर कॉलेज की,
मैं किसान गाँव का मेहनतकश।
उसके आगे थोड़ा-सा भी,
चलता नहीं है मेरा वश।
वह सुबह-सवेरे रेडी हो,
कॉलेज को चल देती है।
वापस आकर कॉलेज से,
ऑनलाइन हो लेती है।
एफ-बी, वार्टसएप, ट्विटर में,
उसका ही जलवा रहता है।
मैडम टिक-टाक वाली हैं,
पड़ोस का ललुवा कहता है।
खाना बनाना, बर्तन धोना,
सब काम मेरे हिस्से हैं।
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मैडम के तो गाँव शहर में,
ढेर सारे किस्से हैं।
निज हालत को देख मुझे,
खुद पर ही तरस अब आता है।
वहाँ मैडम का फैशन पर डे,
सुर्खियों में रहता है।
लौंडे-मौंडे गाँव शहर के,
उसकी चर्चा करते हैं।
देख उसे यहाँ-वहाँ,
बस लंबी आहें भरते हैं।
देख यह सब मैं बेचारा,
मन मसोस के रह जाता हूँ।
कोस-कोस निज किस्मत को,
भावना में बह जाता हूँ।
बीवी है या है झमेला,
समझ नहीं मैं पाया हूँ।
हाय राम मैं अपनी ही,
बीवी का सताया हूँ।