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Arpan Kumar

Inspirational Comedy

4  

Arpan Kumar

Inspirational Comedy

मैं सड़क हूँ

मैं सड़क हूँ

2 mins
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एक

 

तुम मुझे बनाते हो

और फिर रौंदते हो

अपने पैरों के जूतों

अपनी गाड़ी के पहियों

और अपनी तेज़,

अंतहीन रफ्तार से

तुम मुझ पर

आजीवन भागते हो

मगर मैं

तुम्हें कहीं नहीं पहुँचाती

और ज़रा सोचो

अगर मुझमें

ऐसी कोई सामर्थ्य होती

तो मैं स्वयं

किसी मंज़िल पर जाकर

सुस्ता रही होती

मैं तो किसी नदी की तरह

ख़ुशकिस्मत भी नहीं

कि कोई सागर

मुझे अपनी गोद में जगह दे दे

मुझे तुमने

एक इंसान ने

बनाया है

शायद मैं तभी

यूँ आकर्षक और अंतहीन हूँ

तुम्हारी आकांक्षाओं की ही प्रतिच्छवि

जो कभी

कहीं जाकर ख़त्म नहीं होती

 

दो

 

धूल से सनी-पगी

मैं कोई कच्ची पगडंडी नहीं हूँ

जो तुम्हारे नंगे पाँवों के नीचे बिछकर

उनकी बिवाइयों का हाल जान सकूँ

और तुम मेरे किनारे

चारखाने का अपना ग

मछा बिछाकर

अपनी सूखी रोटियों का स्वाद

मुझसे साझा कर सको

ईंट-पत्थर के शरीर पर

कोलतार का भरपूर लेप लगाई

मैं एक स्लीम और स्मार्ट सड़क हूँ

जहाँ अगर तुम पल भर को भी रुके

तो रौंद दिए जाओगे

मैं तुम्हें मशीनी रफ़्तार से

तेज भागना सिखला सकती हूँ

मगर किसी इंसानी असमंजस,

आकर्षण, भटकाव और भुलावे को

कोई जीवनदान नहीं दे सकती 

ईंट-पत्थर से बनी यह देह

तुम्हारे नीचे बिछ तो सकती है

मगर तुम्हें चैन की नींद

सुला नहीं सकती

दुनियाभर के शोर-शराबे में

तुम्हें डुबोकर मार तो सकती है  

मगर किसी मीठी लोरी की कश्ती पर

तुम्हें पार नहीं लगा सकती

मैं सड़क हूँ

मेरी कालिमा

मेरी सपाटता की पहचान है

तुम्हारे अंदर

कोमलता और सदाशयता के

जितने कच्चे रंग हैं

मैं उन्हें क्रमशः सोख लेती हूँ

तुम जिसे अपनी सफलता कहते हो

और जिसका बखान करते

थकते नहीं हो

दरअसल वह

तुम्हारा बेरंग और निष्ठुर होना है


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