मंगल नाम हो पावन नाम हो , राम के नाम का उत्तम जप हो। मंगल नाम हो पावन नाम हो , राम के नाम का उत्तम जप हो।
आखिर झूल गया फांसी पर हंसते हंसते वो दीवाना। आखिर झूल गया फांसी पर हंसते हंसते वो दीवाना।
यह साल अब देकर चला, खट्टी मीठी याद। कहीं 'साल' भर सालता, कहीं भरे उन्माद। यह साल अब देकर चला, खट्टी मीठी याद। कहीं 'साल' भर सालता, कहीं भरे उन्माद।
वक्त निकलता जा रहा कैसी बेतहाशा ये दौड़ है। वक्त निकलता जा रहा कैसी बेतहाशा ये दौड़ है।
माता-पिता की ममता,अपार विश्वास, सिखाते हैं जीवन की मूल बातें खास। माता-पिता की ममता,अपार विश्वास, सिखाते हैं जीवन की मूल बातें खास।
शिव और पार्वती मिलन की है ये रात, श्रद्धा विश्वास होते दिव्य प्रेमी सौगात। शिव और पार्वती मिलन की है ये रात, श्रद्धा विश्वास होते दिव्य प्रेमी सौगात।
जबसे साथ तुम्हारा पाया, मन- वीणा के तार बजे। जबसे साथ तुम्हारा पाया, मन- वीणा के तार बजे।
मुस्कराकर अपनी ही ख्वाहिशों को तोड़ देता है शायद उसे ही पिता कहते हैं। मुस्कराकर अपनी ही ख्वाहिशों को तोड़ देता है शायद उसे ही पिता कहते हैं।
कई स्मृतियां मन की किवाड़ से झांकती पलकों पे उतर आयी..... कई स्मृतियां मन की किवाड़ से झांकती पलकों पे उतर आयी.....
ऐ सूरज ! सुनो न!! क्या कर सकते हो तुम अपनी उष्मा का विस्तार ? ऐ सूरज ! सुनो न!! क्या कर सकते हो तुम अपनी उष्मा का विस्तार ?
इश्क़ में तेरे हद से गुज़र जाऊँगी या या बिखर जाऊँगी या संवर जाऊँगी...! इश्क़ में तेरे हद से गुज़र जाऊँगी या या बिखर जाऊँगी या संवर जाऊँगी...!
याद रखो अवकाश नहीं उत्सव हो हर बार। याद रखो अवकाश नहीं उत्सव हो हर बार।
दौड़ रहे हैं आँख मूँद कर सपनों के पीछे गिद्ध, छडूंदर, घोड़ा, हाथी, चमगादड़, तीतर।। दौड़ रहे हैं आँख मूँद कर सपनों के पीछे गिद्ध, छडूंदर, घोड़ा, हाथी, चमगादड़, ...
वह था... मैं थी... हम थे... दोनो थे. वह था... मैं थी... हम थे... दोनो थे.
नए-नए बंद अस्पताल चालू कर उनको सफल हमने बना दिये। नए-नए बंद अस्पताल चालू कर उनको सफल हमने बना दिये।
नियमित क्रम से जो आना जाना करते हैं। हे प्रभु तेरा गुणगान सब रोजाना करते हैं। नियमित क्रम से जो आना जाना करते हैं। हे प्रभु तेरा गुणगान सब रोजाना करते हैं।
मेरे ह्रदय में है वो सदा सर्वदा संचित , एक दिवास्वप्न है आज भी अघोषित। मेरे ह्रदय में है वो सदा सर्वदा संचित , एक दिवास्वप्न है आज भी अघोषित।
चहक उठता है ,वो घर ,जब बेटी ससुराल से आती है। न जाने कितने सपने ,कितने अरमान संजो लाती है। चहक उठता है ,वो घर ,जब बेटी ससुराल से आती है। न जाने कितने सपने ,कितने अरमान...
उनकी दीवानगी में लोग, जाने क्यों पागल हुए जाते हैं। उनकी दीवानगी में लोग, जाने क्यों पागल हुए जाते हैं।
कब, कहाँ, किधर कुछ पता नहीं.... जिंदगी चल रही पर कोई ख़बर नहीं। कब, कहाँ, किधर कुछ पता नहीं.... जिंदगी चल रही पर कोई ख़बर नहीं।