मैं एक घरेलू महिला हूँ जो नारी की स्वतंत्रता में विश्वास रखती हूँ। स्वछंदता में नहीं। नारी उत्थान के लिए कुछ भी करने को तैयार। लेकिन तभी जब नारी सामाजिक मुल्यो के अनुरूप चले।
Share with friendsमेरी बेटी की सगाई की रस्में अदा होने के साथ, मेरी बरसों की ख्वाइशें मूर्त रूप ले रहीं
Submitted on 03 Jan, 2021 at 05:59 AM
मैं सुनील और उसकी गृहस्थी के बीच दरार का कारण नहीं बनना चाह रही थी।
Submitted on 22 Sep, 2020 at 10:06 AM
अचानक पता चला कि अनिल के घरवालों को किसी ने भड़का दिया।
Submitted on 07 Jun, 2020 at 07:05 AM
हर बात के साथ कहती कि मेरा सुनील तो बहुत ही सीधा और होनहार है ,सी ए है सी ए ।
Submitted on 20 May, 2020 at 17:41 PM
निशा एक हसीन, कमसीन होने के साथ पढ़ाई में भी अव्वल थी!
Submitted on 19 May, 2020 at 16:53 PM
अँधेरा जब ज्यादा बढ़ जाता है, तो "शकुन" रोशनी सामने ही होती है।
Submitted on 18 May, 2020 at 16:24 PM
ज़्यादातर महिलायें घर का भार भी ढोती हैं और अपने पति को भी संभालती हैं ।
Submitted on 18 May, 2020 at 02:09 AM
जो चाहे विदेश में रहें या भारत में, जो कि अपने रिश्तों के लिये वफ़ादार नहीं।
Submitted on 16 May, 2020 at 15:53 PM
आप यहाँ किसको गुनहगार मानतें हैं ? रमेश, वंदना, सास या फिर देवर ?
Submitted on 15 May, 2020 at 17:45 PM