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Shakuntla Agarwal

Abstract Classics Inspirational

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Shakuntla Agarwal

Abstract Classics Inspirational

व्यस्कों की मानसिकता पर पश्चिमी संस्कृति का डेरा

व्यस्कों की मानसिकता पर पश्चिमी संस्कृति का डेरा

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अगले तीन दशकों में भारत को भी जापान औैर चीन की तरहा जनसंख्या से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि भारत में भी डिकं कपल्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, यानि (डबल इन्कम नो किड्स) क्योंक़ि भारत में भी या तो व्यस्क शादी नहीं करना चाहते या शादी कर भी लेते हैं तो बच्चे नहीं करऩा चाहते। उन्हें लगता है की हमारी जिम्मेदारियाँ बढ़ जायेगी। वो आजाद रहना चाहते हैं, सुबह का नाश्ता, लंच आफिस में और रात को डिऩर किसी भी रेस्तरा में करते नजर आयेंगें, ये डिंक शब्द 1980 में चलन में आया और इनकी संख्या बढ़ती ही गई। कुल प्रजनन दर यानि टोटल फर्टिलिटी रेट 2050 में 1.29, 2100 में 1.04 के स्तर तक गिरने का अनुमान लगाया गया है, जो आवश्यक दर 2.1 से कम है। इसके कई मुख्य कारण हैं -

1) विवाह की उम्र बढ़ना- इसका एक तो कारण विवाह की उम्र बढ़ना भी है। पहले के जमाने में शादी के समय लड़क़ी 17-18 और लडके की उम्र 20-22 होती थी। युवा होने के कारण प्रजनन क्षमता भी अधिक होती थी, अब वह उम्र 28-30 के पास पहुंच गई, जिससे प्रजनन क्षमता में गिरावट आई है। एक तो उम्र ज्यादा, दूसरा बच्चों के दायित्वो से भागना। इतनी उम्र होने के बावजूद भी वह बच्चों के दायित्व उठाने की बजाये आजाद जीवन जीने में विश्वास करते हैं।

2) लड़कियों का कामकाजी होना - इससे सिटींग ज्यादा होने की वजह से उनके गर्भाशय या ओवरी के आसपास छोटी -छोटी सिस्ट आकार ले लेती हैं, यह भी एक कारण है प्रजनन दर में कमी का। अगर समय रहते इलाज नहीं करवाया जाता है तो ये बड़ा रूप ले लेती हैं। काम-काज करना बहुत अच्छी बात है परन्तु उसके साथ -साथ परिवार को बढ़ाना भी उनका दायित्व है, एक तो लड़कियाँ बच्चा पैदा नहीं करना चाहती, उन्हें लगता है इसका असर उनके करियर पर होगा। दूसरा वो जहां काम करती है वो कंपनियां भी नहीं चाहती कि माँ बने क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर माँ बनी, 6 महीने का अवकाश देना होगा और बाद में भी काम पर इसका असर होगा।

3) शुक्राणु की कमी - आजाद जीवन शैली जीने के चक्कर में डिंक कपल्स या कपल्स शराब और फ़ास्ट फ़ूड का अधिक सेवन करते हैं, जिसके कारण भी शुक्राणुओं की मात्रा में गिरावट आ जाती है, यह भी एक कारण है प्रजनन क्षमता में कमी का।

4) महंगाई बढ़ना - कपल्स का मानना है कि अगर हम बच्चा पैदा करेंगे तो

हमारे दायित्व और खर्च दोनों बढेंगें। वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि दुनिय़ाँ में जो आता है वह अपऩा भाग्य साथ लाता है। ऐसा अक्सर देखा गया है उसका भाग्य जुड़ने से आपकी इन्कम में बढ़त हो जाती है।

5) सेहत - जाने क्यों आज कल के कपल्स में एक मिथ्या वहम ने स्थान ले लिया है, कपल्स को खासकर लड़कियों को लगता है की हमारी सेहत पर इसका असर होगा, उनको लगता है हमारा फिगर खराब हो जायेगा, यह क्षणिक बदलाव होता है, जब आप मातृ सुख पाते हैं तो ये क्षणिक बदलाव आप को आनन्द से भर देता है।

6) दायित्व से भागना - आज की युवा पीढ़ी दायित्व निभाना ही नहीं चाहती, पहले तो वह विवाह से ही भागते नजर आते हैं। (लिव इन) में रहना ज्यादा पसंद करने लगे हैं। जहाँ कोई बंधन नहीं, अगर शादी कर भी लेते हैं, तो बच्चे करने में आनाकानी करते नजर आते हैं, वह आजाद रहने की प्रवृति में ज्यादा विश्वास करते हैं ताकि दोनों ही दायित्व मुक्त और स्वतन्त्र रहें।

7) तकनीक या अन्य विकल्प - युवाओं को लगता है कि हम जब चाहें नई तकनीक या विकल्प अपनाकर बच्चा कर लेंगे। उनको ये समझऩा होगा की उससे सेहत और समाज दोनों पर ही इसक़ा प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि आई वी एफ "प्रेगनेंसी" में आपको ज्यादा कष्ट होता है, खासकर लड़कियों को। ज्यादा मानसिक और शारीरिक कष्ट सहने पड़ते हैं। यह विकल्प उन कपल्स के लिये है जो किसी कारण वश मां-बाप नहीं बन पाते हैं, जब आप को नैचुरल ही मात-पिता का सुख मिल रहा है, तो बीच में व्यवधान ना डालें, उससे आप समाज और देश दोनों से विश्वासघात कर रहें हैं।

विचार करें -

पश्चिम वाले हमारी संस्कृति अपना रहे हैं और हम पश्चिमी। वहाँ का ट्रेंड है- "ड्यूल इनकम, दायित्व मुक्त"। उनकी सोच है कि अगर हम बच्चे पैदा करेंगे तो जीवऩ का आनन्द नहीं ले पायेंगे। बच्चों से वित भार बढ़ेगा और जीवन से समझौता करना पड़ेगा और मौज -मस्ती में कमी आयेगी। परन्तु मैं यह कहना चाहुंगी की बल्कि जीवन का आनन्द बच्चों से दोगुना हो जायेगा। अपने विचारों को बदले, माता-पिता के अनुभव से कुछ सीखें, नासमझी में सामाजिक ढ़ांचे को चरमराने से बचायें। बच्चे न करने के निर्णय के कारण वैश्विक जनसंख्या पर तो प्रभाव पड़ेगा ही, दुनियां की अर्थ-व्यवस्था भी चरमरा जायेगी। इसका परिणाम होगा युवा कम प्रोढ़ ज्यादा। विचार करें हम किस दिशा में जा रहें हैं।


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