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Shakuntla Agarwal

Abstract Others

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Shakuntla Agarwal

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"सतीत्व"

"सतीत्व"

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सतीत्व का वास्तविक और आध्यात्मिक अर्थ अपने सत्य को जानना। हम सभी मनुष्यों का वास्तविक मूल है - आत्मा। उस दृष्टिकोण से सृष्टि के समस्त देहधारी जीव आत्मा ही हैं, अर्थात शिव की रचना। अतः सतीत्व को जान, समस्त मानव जाति के लिये आदर्शों में मतभेद ना हों अपितु चोला कोई भी हो स्त्री या पुरुष। पौराणिक कथाओं के अनुसार सतीत्व का अर्थ माना गया वह नारी जो पूर्ण रूप से पति धर्म निभाते हुये अपना बलिदान कर दे।

इसका पौराणिक उदाहरण है :-

दक्ष की पुत्री भगवान शिव की अर्धांगिनी मां पार्वती का नाम सती था, जिन्होंने अपने पिता द्वारा निमन्त्रण ना देने शिव का आसन ना लगाने के कारण, अपने आपको हवन-कुण्ड की अग्नि में स्वाहा कर दिय़ा था। हमारे विश्व की सबसे पहली सती माद्री थी, जिन्होंनें संसार में जीने से बेहतर अपने पति की चिता को

चुना और जीते जी पति की चिता में आश्रय लिया। यहाँ से सती प्रथा चलन में आई। राजा राम मोहन राय जी ने 1828 में सती प्रथा का अन्त करवाया, क्योंकि एक जिन्दा स्त्री को पति की मौत होने पर उसके साथ जिन्दा जला देना कहाँ तक जायज था? महज इसलिये की शायद आगे चलकर वह अपने सतीत्व पर कायम रह पायेगी या नहीं। मेर

े दृष्टिकोण से वह नारी भी सतीत्व का प्रतीक है जो धर्मनिष्ठ, कर्मनिष्ठ होकर अपने समस्त कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को शिद्दत से निभा रही है। यानि सती का सही मायने में अर्थ हुआ - सम्पूर्ण नारी, सत्त पर चलने वाली। आज की नारी पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर अपने दायित्व निभा रही है, परन्तु समाज में कुछ ऐसे घटक मौजूद हैं जो स्त्री को कलंकित कर देते हैं, इसका ज्वलन्त उदाहरण हैं बदलापुर की दूध मुंही बच्चियाँ। जिनके दूध के दांत भी टूट नहीं पाये थे और वहशियों ने उन्हें नोच डाला और बंगाल की डा० जिसने मानव सेवा को सर्वोपरी माना, उसका क्या हाल किया इन दरिन्दो ने।

आये दिन की इन खबरों ने मेरे मन को विचलित कर दिया। पूरे देश ने मिलकर इस दरिंदगी के खिलाफ जो मोर्चा सम्भाला उससे मैं नतमस्तक हो गई ।

काश! पहले ही जब नारी उत्पीड़न चल रहा था, सख्त कानून बनाते तो और मासूम इस दरिंदग़ी का शिकार नहीं हुई होती। दरिंदों के मन में खौफ पैदा करना निहायत आवश्यक है, ताकि वह कुकर्म करने से पहले सौ बार सोचे, अब भी समय है सोचें और विचार करें, हम चेत जायेंगे तो स्त्री अपने "सतीत्व पर कायम रह पायेगी" 

जब जागो, तभी सवेरा



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