मेरी कलम से...
मैं गणित जैसे दुरूह विषय की विद्यार्थी एवं प्राध्यापिका रही हूँ। अंकों में उलझते हुए भी शब्दों से खेलते हुए सुकून की तलाश हमेशा रही है। लेखन, खालीपन में शौक के रूप में और किसी की पीड़ा से व्यथित हो मजबूरी के रूप में उभरा है। बचपन से ही मनोभावों को डायरी के पन्नों में छुपाने की... Read more
मेरी कलम से...
मैं गणित जैसे दुरूह विषय की विद्यार्थी एवं प्राध्यापिका रही हूँ। अंकों में उलझते हुए भी शब्दों से खेलते हुए सुकून की तलाश हमेशा रही है। लेखन, खालीपन में शौक के रूप में और किसी की पीड़ा से व्यथित हो मजबूरी के रूप में उभरा है। बचपन से ही मनोभावों को डायरी के पन्नों में छुपाने की आदत रही है, कविताओं के रूप में.. प्रकृति से राग और अपनों से अनुराग के कुछ पल, मानवीय संवेदनाओं में डूबा मन कभी खुश होता, कभी उदास.. कभी प्रेम में डूबा तो कभी अलगाव की पीड़ा से बेचैन.. जिंदगी के कई पहलुओं को नजदीक से जाना तो कुछ आज तक अनछुए ही रहे.. जीवन की संगति और विसंगति से उपजी रचनाओं में खुशी, उदासी, प्रेम, पर्व, अलगाव, संस्कार और अपनत्व जैसे जिंदगी के रंग भरने का प्रयास रहता है... ! Read less