इंकलाब
इंकलाब


किसने क्या प्रयास किया,
पूछना खुदसे सवाल है
सोई चेतना को जगाकर,
इंकलाब लाना ही होगा
बेटी अब भी तरस रही
दुनिया में आना, पहचान बनाना
आज भी है बिलख रही
किसने क्या प्रयास किया,
पूछना खुदसे सवाल है
सोई चेतना को जगाकर, इंकलाब लाना ही होगा
बचपन मासूम छिन रहा
अधखिला ये मुरझा कर
बरगद छाँव ढूँढ रहा
किसने क्या प्रयास किया,
पूछना खुदसे सवाल है
सोई चेतना को जगाकर, इंकलाब लाना ही होगा
पश्चिम शैली का हो दीवाना
युवा चंचल मन हुआ भ्रमित
सुसंस्कृति है हमारी असीमित
किसने क्या प्रयास किया,
पूछना खुदसे सवाल है
सोई चेतना को जगाकर, इंकलाब लाना ही होगा
भटके क्यूँ बन के बेरोजगार
पढा-लिखा आज ये नौजवान
किसने क्या प्रयास किया,
पूछना खुदसे सवाल है
सोई चेतना को जगाकर, इंकलाब लाना ही होगा
अस्मिता खतरे में नारी की
कौन अपना और कौन पराया
भीड जमा शातिर गिद्धों की
किसने क्या प्रयास किया,
पूछना खुदसे सवाल है
सोई चेतना को जगाकर, इंकलाब लाना ही होगा
वृधजनों का हुआ जीवन भार
व्यथा उनकी कौन कौन सुने
अपने ही कर रहे तिरस्कार
किसने क्या प्रयास किया,
पूछना खुदसे सवाल है
सोई चेतना को जगाकर, इंकलाब लाना ही होगा
आसमाँ गर न छू सको
रंजो गम नही,करना जतन
खुद को गर बदल सको
किसने क्या प्रयास किया,
पूछना खुदसे सवाल है
सोई चेतना को जगाकर, इंकलाब लाना ही होगा