‘‘साहित्य में सभी कुछ मनोरंजन तो नहीं होता, मनोमंथन भी बहुत होता है। ‘‘साहित्य में सभी कुछ मनोरंजन तो नहीं होता, मनोमंथन भी बहुत होता है।
एक दिन शेरू एक घर में गया, जहाँ घर की मालकिन उसे रोटी दी। एक दिन शेरू एक घर में गया, जहाँ घर की मालकिन उसे रोटी दी।
वह तुम ही थे…जो मेरे सबकॉन्शियस माइंड में थे… वह तुम ही थे…जो मेरे सबकॉन्शियस माइंड में थे…
फिर लौट आता हूँ, पर ये यादें कभी नहीं जातीं। फिर लौट आता हूँ, पर ये यादें कभी नहीं जातीं।
नहीं होती चीख़ें एक जैसी उनमें भी तरह-तरह की अपेक्षाएं आकांक्षाएं छुपी रहती हैं। नहीं होती चीख़ें एक जैसी उनमें भी तरह-तरह की अपेक्षाएं आकांक्षाएं छुपी रहती ...
सबको डुबकी लगानी है, कैसे भी मिल जाए गंगाजल। सबको डुबकी लगानी है, कैसे भी मिल जाए गंगाजल।
उसने यह बात गोकुल वासियों को है समझाई । उसने यह बात गोकुल वासियों को है समझाई ।
उस लम्हे में फिर इक बार संवरना है बस उस लम्हे में फिर इक बार संवरना है बस
‘‘1 हफ्ता पहले आया था. मेरा ट्रांसफर इसी शहर में हो गया है. ‘‘1 हफ्ता पहले आया था. मेरा ट्रांसफर इसी शहर में हो गया है.
अगली रात, विक्रम अपने बच्चों और गाँव के लोगों के साथ आईने के सामने खड़ा हो गया। अगली रात, विक्रम अपने बच्चों और गाँव के लोगों के साथ आईने के सामने खड़ा हो गया।
यहीं पर हमारे जीवन ने ग्रहण किया आकार है, यहीं पर हमारे जीवन ने ग्रहण किया आकार है,
बेरा चाय की ट्रे छोड़कर चला गया, और मैं एक बार फिर अपने ख्यालों में डूब गया। बेरा चाय की ट्रे छोड़कर चला गया, और मैं एक बार फिर अपने ख्यालों में डूब गया।
ष्मिताजी के विश्वास को पूरी तरह जीत लेने के बाद सुधीर ने उन्हें स्पष्ट बता दिया कि वह किरण जी को प्य... ष्मिताजी के विश्वास को पूरी तरह जीत लेने के बाद सुधीर ने उन्हें स्पष्ट बता दिया ...
कुल मिलाकर वह आंगन जैसे महिला-अत्याचार के जंगल में बना एक द्वीप-सरीखा था। कुल मिलाकर वह आंगन जैसे महिला-अत्याचार के जंगल में बना एक द्वीप-सरीखा था।
निराश और हताश, कंश ने आखिरकार अपना अभिमान त्याग दिया और राज से मदद माँगी। निराश और हताश, कंश ने आखिरकार अपना अभिमान त्याग दिया और राज से मदद माँगी।
अलेक और परी ने मिलकर रंग-बिरंगे बुग्गी पर सवारी की। अलेक और परी ने मिलकर रंग-बिरंगे बुग्गी पर सवारी की।
अपनी गलती का एहसास होने पर, शिव ने वीडियो डिलीट कर दिया। अपनी गलती का एहसास होने पर, शिव ने वीडियो डिलीट कर दिया।
नील ने मेघा से कहा, "क्या हम फिर से मिल सकते हैं? शायद किसी और बरसात की रात में।" नील ने मेघा से कहा, "क्या हम फिर से मिल सकते हैं? शायद किसी और बरसात की रात में।...
पर आज भीतर के शोर में खो रहा पंछियों का लयबद्ध स्वर , पर आज भीतर के शोर में खो रहा पंछियों का लयबद्ध स्वर ,
रामदास जी के घर के सामने ही जयंती रहती थी। वह भी लगभग 70 वर्ष की विधवा थी। रामदास जी के घर के सामने ही जयंती रहती थी। वह भी लगभग 70 वर्ष की विधवा थी।