तंग आकर माताजी एक दिन बड़े बेटे के पास फ्लैट में भी चली गई। तंग आकर माताजी एक दिन बड़े बेटे के पास फ्लैट में भी चली गई।
अब मैं सेवा प्रवृत्त हो रही हूं"! सेवा प्रवृत्त कैसे होते हैं? अब मैं सेवा प्रवृत्त हो रही हूं"! सेवा प्रवृत्त कैसे होते हैं?
काकी से ज़ुबान लड़ाती है। देख आज़ तेरी माँ से तेरी शिकायत करती हूँ। काकी से ज़ुबान लड़ाती है। देख आज़ तेरी माँ से तेरी शिकायत करती हूँ।
उसके पिता भारतीय सेना में रहकर राष्ट्र सेवा कर रहे थे। उसके पिता भारतीय सेना में रहकर राष्ट्र सेवा कर रहे थे।
विरोधी दलों की अनर्गल बातों, अफवाहों और नापाक इरादों पर ध्यान न दें। विरोधी दलों की अनर्गल बातों, अफवाहों और नापाक इरादों पर ध्यान न दें।
"जरूरी नहीं कि माता - पिता का फैसला हमेशा सही हो।" "जरूरी नहीं कि माता - पिता का फैसला हमेशा सही हो।"
आज नीलिमा अलग हो कर आत्मसम्मान और स्वाभिमान से परिपूर्ण जीवन जी रही है। आज नीलिमा अलग हो कर आत्मसम्मान और स्वाभिमान से परिपूर्ण जीवन जी रही है।
चाय पीते पीते आज मैं सच मे एक बहु को बेटी जैसा लाड़ दुलार सम्मान पाते देख रही थी। चाय पीते पीते आज मैं सच मे एक बहु को बेटी जैसा लाड़ दुलार सम्मान पाते देख रही थी।
आपके प्रमाणपत्र आपने इतने सम्भाल रखे तो आज किस काम के ? आपके प्रमाणपत्र आपने इतने सम्भाल रखे तो आज किस काम के ?
"पुत्री, अब तुम अपने को पवित्र करने के लिए तपस्या करो।" "पुत्री, अब तुम अपने को पवित्र करने के लिए तपस्या करो।"
उसने तय किया कि वह अपनी बेटी की शादी में धमाल मचा डालेगा। उसने तय किया कि वह अपनी बेटी की शादी में धमाल मचा डालेगा।
ग्रामीण बिना चप्पल और फटे कपड़ों में इकट्ठे हुए। ग्रामीण बिना चप्पल और फटे कपड़ों में इकट्ठे हुए।
अजी अपने ही आलम में मगन सब लोग रहते हैं। बहुत हैं व्यस्त जीवन में यही सब लोग कहते हैं। अजी अपने ही आलम में मगन सब लोग रहते हैं। बहुत हैं व्यस्त जीवन में यही सब लोग ...
तुम उदास रहोगी तो ऑफिस में मेरा मन कैसे लगेगा।" तुम उदास रहोगी तो ऑफिस में मेरा मन कैसे लगेगा।"
इसलिए रात का इंतज़ार करना ही बेहतर समझा उसने। इसलिए रात का इंतज़ार करना ही बेहतर समझा उसने।
आज पहली बार अपने नाम को सुनकर कितना अच्छा लग रहा है| आज पहली बार अपने नाम को सुनकर कितना अच्छा लग रहा है|
स्त्री में सच में बहुत ममता और प्यार होता है जो वह हर दौर में बांटती है । स्त्री में सच में बहुत ममता और प्यार होता है जो वह हर दौर में बांटती है ।
बेटा ऐसा कैसे कर सकता है? उसने घर ले लिया और हमें बताया तक नहीं। बेटा ऐसा कैसे कर सकता है? उसने घर ले लिया और हमें बताया तक नहीं।
एकांत में भी अपने पास किसी अपरिचित पुरुष को देख वह भयभीत नहीं हुई। एकांत में भी अपने पास किसी अपरिचित पुरुष को देख वह भयभीत नहीं हुई।
मेरा मानना है कि साधुओं की सेवा के प्रभाव से ही असंभव संभव हुआ। मेरा मानना है कि साधुओं की सेवा के प्रभाव से ही असंभव संभव हुआ।