नहीं होती चीख़ें एक जैसी उनमें भी तरह-तरह की अपेक्षाएं आकांक्षाएं छुपी रहती हैं। नहीं होती चीख़ें एक जैसी उनमें भी तरह-तरह की अपेक्षाएं आकांक्षाएं छुपी रहती ...
मुझ जैसा सन्यासी सन्यासी होकर भी "कामान्ध" की तरह व्यवहार कर रहा है । मुझ जैसा सन्यासी सन्यासी होकर भी "कामान्ध" की तरह व्यवहार कर रहा है ।
सच में बस से कोई उतरा तो था। क्या यह पिताजी थे ? सच में बस से कोई उतरा तो था। क्या यह पिताजी थे ?
तुम दोनों को अपने भविष्य की चिंता नहीं है। कल को जब हम नहीं होंगे तो तुम दोनों क्या करोगे। तुम दोनों को अपने भविष्य की चिंता नहीं है। कल को जब हम नहीं होंगे तो तुम दोनों क...
उसको मित्र के धोखे के कारण हृदयाघात हुआ और परलोक सिधार गया। उसको मित्र के धोखे के कारण हृदयाघात हुआ और परलोक सिधार गया।
भोजन इतना भी अच्छा नहीं बनना चाहिए कि आदमी खाते-खाते प्राण ही त्याग दे। भोजन इतना भी अच्छा नहीं बनना चाहिए कि आदमी खाते-खाते प्राण ही त्याग दे।
" तुझे ऐसा नही लगता है,के तू पुरा भाभी का गुलाम हो गया है?" " तुझे ऐसा नही लगता है,के तू पुरा भाभी का गुलाम हो गया है?"
क्या आप उनके सिद्धांत को जानते हैं? वह सब कुछ नहीं जानता. क्या आप उनके सिद्धांत को जानते हैं? वह सब कुछ नहीं जानता.
एक गांव में एक गरीब बालक था जो अनाथ था। एक गांव में एक गरीब बालक था जो अनाथ था।
एक दिन वह तीनों बाजार गयीं। सामान खरीदने समय माँ की बचपन की सहेली मिल गयी। एक दिन वह तीनों बाजार गयीं। सामान खरीदने समय माँ की बचपन की सहेली मिल गयी।
बेटे के निमंत्रण को सुनकर पति-पत्नी दोनों खुश हो गए बेटे के निमंत्रण को सुनकर पति-पत्नी दोनों खुश हो गए
"बजरंग दल वालो ने जबरन शादी करवा दी।" "बजरंग दल वालो ने जबरन शादी करवा दी।"
शर्मिष्ठा कहने को तो मेरी सखि है परन्तु वह मुझसे बहुत ईर्ष्या करती है। शर्मिष्ठा कहने को तो मेरी सखि है परन्तु वह मुझसे बहुत ईर्ष्या करती है।
ज्यों ज्यों समय व्यतीत होता जा रहा था , शर्मिष्ठा की धड़कनें बढ़ने लगीं थी । ज्यों ज्यों समय व्यतीत होता जा रहा था , शर्मिष्ठा की धड़कनें बढ़ने लगीं थी ।
विवाह में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति की आंखों में आंसू थे। विवाह में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति की आंखों में आंसू थे।
गौर से देखो उन चींटीयों को। कितनी अनुशासित हैं, हैं न? गौर से देखो उन चींटीयों को। कितनी अनुशासित हैं, हैं न?
कोरोना का दूसरा चरण राधू की सारी खुशियों को निगल गया। कोरोना का दूसरा चरण राधू की सारी खुशियों को निगल गया।
"मैं तो अपनी नियति खुद हूं मेरे भी तो मर्दों जैसे 2 हांथ ,2 पैर ,दिल दिमाग है तो कम कैसे?" "मैं तो अपनी नियति खुद हूं मेरे भी तो मर्दों जैसे 2 हांथ ,2 पैर ,दिल दिमाग है तो...
अरे... तुम इतना पैनिक क्यों होती हो ? शी इज़ माय फ्रेंड। अरे... तुम इतना पैनिक क्यों होती हो ? शी इज़ माय फ्रेंड।
किसान दरोगा को लाख दुआएं देता हुआ घर लौट आया, लेकिन सोचता रहा, ये किस ज़माने का दरोगा है किसान दरोगा को लाख दुआएं देता हुआ घर लौट आया, लेकिन सोचता रहा, ये किस ज़माने का द...