नहीं होती चीख़ें एक जैसी उनमें भी तरह-तरह की अपेक्षाएं आकांक्षाएं छुपी रहती हैं। नहीं होती चीख़ें एक जैसी उनमें भी तरह-तरह की अपेक्षाएं आकांक्षाएं छुपी रहती ...
अँधेरे में मेरे दिमाग के उजाले और ज्यादा साफ हो गये। अँधेरे में मेरे दिमाग के उजाले और ज्यादा साफ हो गये।
निराश और हताश, कंश ने आखिरकार अपना अभिमान त्याग दिया और राज से मदद माँगी। निराश और हताश, कंश ने आखिरकार अपना अभिमान त्याग दिया और राज से मदद माँगी।
अलेक और परी ने मिलकर रंग-बिरंगे बुग्गी पर सवारी की। अलेक और परी ने मिलकर रंग-बिरंगे बुग्गी पर सवारी की।
इसमें हैरानी की क़्या बात है... मृत्यु तो अटल है जो हर जीव को निश्चिंत आनी है... इसमें हैरानी की क़्या बात है... मृत्यु तो अटल है जो हर जीव को निश्चिंत आनी है...
उन्होंने विवाह संस्था के विकल्प के रूप में अपने जीवन के लिए जाने-अनजाने चुन लिया था। उन्होंने विवाह संस्था के विकल्प के रूप में अपने जीवन के लिए जाने-अनजाने चुन लिया...
बस, संपूर्ण जिंदगी यही करते रहो !दोपहर की रोटी, शाम की रोटी बनाओ और सो जाओ। बस, संपूर्ण जिंदगी यही करते रहो !दोपहर की रोटी, शाम की रोटी बनाओ और सो जाओ।
ष्मिताजी के विश्वास को पूरी तरह जीत लेने के बाद सुधीर ने उन्हें स्पष्ट बता दिया कि वह किरण जी को प्य... ष्मिताजी के विश्वास को पूरी तरह जीत लेने के बाद सुधीर ने उन्हें स्पष्ट बता दिया ...
कुल मिलाकर वह आंगन जैसे महिला-अत्याचार के जंगल में बना एक द्वीप-सरीखा था। कुल मिलाकर वह आंगन जैसे महिला-अत्याचार के जंगल में बना एक द्वीप-सरीखा था।
सच में बस से कोई उतरा तो था। क्या यह पिताजी थे ? सच में बस से कोई उतरा तो था। क्या यह पिताजी थे ?
या तो खाने को एक रोटी नसीब हो जाए या फिर अवचेतन मन के साथ एक गहरी नींद। मैं नींद का चुनाव करता हूं। या तो खाने को एक रोटी नसीब हो जाए या फिर अवचेतन मन के साथ एक गहरी नींद। मैं नींद...
तुम दोनों को अपने भविष्य की चिंता नहीं है। कल को जब हम नहीं होंगे तो तुम दोनों क्या करोगे। तुम दोनों को अपने भविष्य की चिंता नहीं है। कल को जब हम नहीं होंगे तो तुम दोनों क...
हमने रास्ते में बहुत सारे आम के पेड़ देखे जो कैरीओं से लदे हुए थे। हमने रास्ते में बहुत सारे आम के पेड़ देखे जो कैरीओं से लदे हुए थे।
उसको मित्र के धोखे के कारण हृदयाघात हुआ और परलोक सिधार गया। उसको मित्र के धोखे के कारण हृदयाघात हुआ और परलोक सिधार गया।
विवाहोपरांत, दैहिक सम्बन्ध को लेकर, चटखारेदार चर्चा, लज्जाजनक थी. विवाहोपरांत, दैहिक सम्बन्ध को लेकर, चटखारेदार चर्चा, लज्जाजनक थी.
मुझ जैसा सन्यासी सन्यासी होकर भी "कामान्ध" की तरह व्यवहार कर रहा है । मुझ जैसा सन्यासी सन्यासी होकर भी "कामान्ध" की तरह व्यवहार कर रहा है ।
तुम आजकल के बच्चों को हर चीज, हर हाल में, हमेशा चाहिए, वर्ना पूरा घर सर पर उठा लेते हो। तुम आजकल के बच्चों को हर चीज, हर हाल में, हमेशा चाहिए, वर्ना पूरा घर सर पर उठा ल...
मुझसे कितनी बड़ी गलती हो गयी! मुझे करन के पास जाकर माफ़ी माँगनी चाहिए। मैंने उस पर विश् मुझसे कितनी बड़ी गलती हो गयी! मुझे करन के पास जाकर माफ़ी माँगनी चाहिए। मैंने उस ...
यह देख सेठ ने पूछा – “ ककड़ी तो बहुत कड़वी थी । भला तुम ऐसे कैसे खा गये ?” यह देख सेठ ने पूछा – “ ककड़ी तो बहुत कड़वी थी । भला तुम ऐसे कैसे खा गये ?”
सेब के पेड़, ऐ सेब के पेड़, बता तो, बत्तख-हंस उड़कर किधर गए हैं?” सेब के पेड़, ऐ सेब के पेड़, बता तो, बत्तख-हंस उड़कर किधर गए हैं?”