...हम दोनों संत रविदास पार्क में दुनिया से नज़र बचा कर एक झाड़ी के पीछे बैठे थे. हमेशा यु ही होता रह... ...हम दोनों संत रविदास पार्क में दुनिया से नज़र बचा कर एक झाड़ी के पीछे बैठे थे....
इसलिए वह आत्मा अब उस रहस्यमई लाइब्रेरी को छोड़कर चली गई और अब वह आत्मा वहां नहीं रहती इसलिए वह आत्मा अब उस रहस्यमई लाइब्रेरी को छोड़कर चली गई और अब वह आत्मा वहां नहीं...
सब सम्बन्धी, घर परिवार, साथ न होंगे कोई चार, नशे की मार न सहना। सब सम्बन्धी, घर परिवार, साथ न होंगे कोई चार, नशे की मार न सहना।
उसके बाद वो किसी और का हो गया और मैं आज भी सिर्फ उसी का कहा जाता हूं। उसके बाद वो किसी और का हो गया और मैं आज भी सिर्फ उसी का कहा जाता हूं।
प्रेम मुदित मन करता स्वागत, प्रिय बसंत ऋतु आयी। प्रेम मुदित मन करता स्वागत, प्रिय बसंत ऋतु आयी।
मेरी शादी हो जायेगी ,फिर सब मुझे सुमित्रा बुलायेंगे ।तू मुझे मूँगी ही बुलाना ! मेरी शादी हो जायेगी ,फिर सब मुझे सुमित्रा बुलायेंगे ।तू मुझे मूँगी ही बुलाना !