आज कल बुजुर्गों के प्रति उपेक्षा की मनोस्थिति कमोबेश सब जगह है। आज कल बुजुर्गों के प्रति उपेक्षा की मनोस्थिति कमोबेश सब जगह है।
कसकर पट्टी बँधी होने से उसके खून का प्रवाह रुक गया। और उससे उसकी मृत्यु हो गयी। कसकर पट्टी बँधी होने से उसके खून का प्रवाह रुक गया। और उससे उसकी मृत्यु हो गयी।
जिसने इसे भुगता है उसका क्या हाल हुआ होगा, अपनी वेदना वह कह भी नहीं सका। जिसने इसे भुगता है उसका क्या हाल हुआ होगा, अपनी वेदना वह कह भी नहीं सका।
उसने अस्पताल में रुकने की जगह माँगी पर उसे मना कर दिया गया उसने अस्पताल में रुकने की जगह माँगी पर उसे मना कर दिया गया
वे बोलीं “अब मेरी कहीं से कोई चिट्ठी नहीं आती”और उनकी आँखों से आँसू बह चले! वे बोलीं “अब मेरी कहीं से कोई चिट्ठी नहीं आती”और उनकी आँखों से आँसू बह चले!
अब कुछ भी होता रहे उसके लिए तो व्यर्थ ही है। अब कुछ भी होता रहे उसके लिए तो व्यर्थ ही है।