लापरवाही
लापरवाही


कहा गया है कि प्रतिक्षण सावधान रह कर कर्म करें। कभी भी आधे मन से आधा अधूरा काम न करें, क्योंकि उसका कितना भयानक परिणाम हो सकता है इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
सबसे ज़्यादा तो यह तथ्य चिकित्सकों के ऊपर लागू होता है, उनसे बहुत ऊँचे स्तर की सावधानी और जागरूकता अपेक्षित है। उनकी ज़रा सी लापरवाही या भूल किसी के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
ऐसा ही एक क़िस्सा मेरे सुनने में आया। यह एक अच्छा ख़ासा प्रतिष्ठित प्राइवेट अस्पताल था। आई सी यू आदि सब सुविधा से संपन्न था। वहाँ एक मरीज़ भर्ती हुआ, जो थोड़ा बेहोश सा था, पर पूरा कोमा में नहीं था। उसे ICU वार्ड में भर्ती किया गया।
एक डॉक्टर उस मरीज़ का ब्लड प्रेशर नापने आया। उसने ब्लड प्रेशर तो ले लिया पर इसके लिए उसने जो पट्टी बाँधी थी उसे खोलना भूल गया। डॉक्टर तो चला गया पर पट्टी बँधी रह गई।
अब वह मरीज़ बोल तो सकता नहीं था, पीड़ा से कराहने लगा। उसने कुछ बोलने की भी कोशिश की पर किसी के समझ में कुछ नहीं आया। सोचा कि ऐसे ही दर्द से कराह रहा होगा।
&n
bsp; छब्बीस सत्ताईस घंटे वह पट्टी उसकी बॉंह पर कसकर बँधी रह गई। किसी ने ध्यान नहीं दिया। ICU में किसी परिवार वाले का भी प्रवेश निषेध था। कोई कुछ जान नहीं सका। सब कुछ वहाँ के डॉक्टर व नर्स पर ही निर्भर था। पर किसी का भी ध्यान उस मरीज़ की कराह या पीड़ा की ओर नहीं गया। कसकर पट्टी बँधी होने से उसके खून का प्रवाह रुक गया। और उससे उसकी मृत्यु हो गयी।
अब अस्पताल में खलबली मची। ये कैसे हुआ, यह किसकी लापरवाही थी। इन्क्वायरी शुरू हुई। सब से पूछताछ हुई। पर कुछ पता नहीं चला कि यह किसकी लापरवाही से हुआ था।
जाने वाला तो चला गया। क्या भयंकर त्रासदी उसने झेली होगी अपने बिना किसी अपराध के। उसके घर वालों ने पूरा ख़र्च भी उठाया होगा, पर हाथ कुछ नहीं आया। हद दर्जे की लापरवाही अस्पताल में हुई।
इस पर क्या किया जाए। ज़िम्मेदारी के पद पर बैठे लोग कब अपने कर्तव्य के प्रति गंभीर और सजग होंगे और लगन, परिश्रम और कर्तव्यनिष्ठा से अपना काम करेंगे। डॉक्टर का पेशा बहुत परिश्रम लगन और अध्ययन माँगता है, जिनमें इसका अभाव है उन्हें इस पेशे में नहीं जाना चाहिए। इसमें आने के लिए सेवाभाव प्रथम आवश्यकता है।