Komal Tandon

Tragedy Inspirational

4.6  

Komal Tandon

Tragedy Inspirational

नई शुरुआत नई मैं

नई शुरुआत नई मैं

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आज मेरा नया जन्म हुआ है अगर मैं ऐसा कहूं तो कुछ गलत नहीं होगा । मैं एक खुशमिजाज , जिंदादिल लड़की कब इतनी निराशावादी और असुरक्षित हो गयी पता ही नहीं चला । मैंने तो उसे हमेशा प्यार किया था और अपने रिश्ते को संभालने की पूरी कोशिश की पर अब लगता है कि मैं रिश्ता संभाल नही रही थी बल्कि अपने आप को बेवकूफ बना रही थी । रिश्ता तो कभी था ही । प्यार तो कभी था ही नहीं । जो कुछ भी था बस स्वार्थ था उसका स्वार्थ,जो मुझे ऐसा घाव दे गया जिसके निशान मेरे मन और शरीर पर दोनों पर रहेंगे । हमेशा हमेशा के लिए । 

अभी मैने स्नातक किया ही था कि मेरी शादी की बात चलने लगी । रिश्ते की एक मौसी ने मेरे लिए इतना अच्छा रिश्ता भेजा कि माता पिता मना कर ही न सके । वह मुझे देखने आया तो मुधे दिल में डर के साथ साथ एक गुदगुदी भी हुई । हमें कुछ देर एकदूसरे के साथ बिताने के लिए छोड़ दिया गया। 

रवि- “हाय कैसी हो ?”

मैं – “जी अच्छी हूं । आप कैसे हैं?”

रवि –“ कुछ देर पहले तक तो ठीक था पर लगता है अब दिवाना हो चुका हूं । तुम्हारा । “

न चाहते हुए भी मुझे हंसी आ गयी मैं खुद को रोक न सकी । 

रवि –“कितनी सुंदर हंसी है तुम्हारी । कॉलेज के लड़के तो इस हंसी पर जान दे देते होंगे । “

मैं –“मुझे क्या पता । “ मैंने कंधे उचका कर कहा । 

रवि – “उफ ये सादगी । मैं तो फिद हो गया। “

लड़के वाले शादी के लिए तैयार थे हमारे परिवार को भी रिश्ता मंजूर था सो आनन फानन एक महीने के भीतर ही मैं ससुराल पहुंच गयी । दिनभर की थकान से कब सो गयी पता ही नहीं चला । रात में रवि ने झंकझोर कर उठाया । 

रवि – “आज हमारी सुहागरात है और तुम सो रही हो ? क्या अपने कॉलेज के ब्वायफ्रैन्ड से बिछुड़ने का गम खाये जा रहा है ? चिंता मत करो मैं तुम्हें उससे भी ज्यादा प्यार करूंगा। “ उसने हंसकर कहा पर यह मजाक मुझे भेद गया । 

मैं –“मैंने कहा न मेरा कोई ब्वायफ्रैन्ड नहीं । “ मैंने गुस्से से कहा । 

रवि- “इम्पॉसिबल । आजकल तो बदसूरत से बदसूरत लड़की का चक्कर चल रहा है फिर तुम कैसे बच गयीं ? तुम तो को-एजुकेशनल कॉलेज में पढी हो । हो ही नहीं सकता कि तुम्हारी किसी लड़के से दोस्ती न रही हो । कोई बात नहीं………. पति और पत्नी के बीच कोई भेद नहीं रहना चाहिए । मेरी भी कुछ गर्ल फ्र्न्ड्स थीं । मैं तुम्हें उनके बारे में बताता हूं और तुम मुझे अपने ब्वायफ्रैन्ड के विषय में बताओ । ताकि कभी मेरी गर्लफ्रैन्ड मुझे या तुम्हारा ब्वायफ्रैन्ड तुम्हें ब्लैकमेल न कर सके। 

मैं- “आप बार बार वही बात दोहरा रहे हैं। मैंने कहा न मेरा कोई ब्वायफ्रैन्ड नहीं। “

रवि –“अच्छा बाबा सॉरी । तुम सती सावित्री हो पर मैं तो सत्यवान नहीं । मेरी गर्लफ्रैन्ड्स थीं । पर अब ...मैं वादा करता हूं कि मेरी जिन्दगी में तुम्हारे बाद कोई नहीं आएगा। “ उसने मुझे गले लगा लिया और कुछ प्यार भरी बातें कीं जिससे मेरा गुस्सा जाता रहा। 

शादी के एक महीने बाद मैं पति के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गयी । शुरु शुरु में इस तरह के ताने सुनकर लगता कि ये सामान्य बात है शायद सभी पति अपने पत्नी के पुराने आशिकों को लेकर इन्सिक्योर होते हैं पर फिर धीरे –धीरे .................

रवि-“ तुम उसी समय छत पर कपड़े सुखाने क्यों जाती हो जब सामने वाली बिल्डिंग में रहने वाला लड़का पढ़ाई करने छत पर जाता है । “

मैं –“ रवि वो सुबह से शाम तक छत पर ही टहल टहल कर पढ़ता है उसके एग्जाम्स चल रहे हैं और वो मुझसे पांच साल छोटा है । “

रवि – तो तुम्हें उसकी उम्र भी पता है यानी कि तुम मोहल्ले वालों से बात करती हो ? मेरे मना करने के बावजूद । और तुम्हें तो छोटे लड़के ही पसंद हैं, है न ? 

मैं –“क्यों तुम्हे ऐसा क्यों लगता है ?”

रवि- “जाने दो मेरा मुंह मत खुलवाओ । “

मैं – “नहीं प्लीज मुंह खोल दो अपना । मैं भी तो सुनूं आखिर तुमने ऐसा क्या देख लिया कि जिससे तुम्हारे दिमाग में ये बात घर कर गयी?”

रवि – “तुम्हारे मायके में भी तो आता है एक ।“

मैं – “संतोष ? वो मेरे छोटे भाई की तरह है । मै उसे ट्यूशन पढ़ाती थी। “

रवि- “जरूर । ऐसे मुंह बोले भाई बहन बहुत देखे हैं मैंने। “ उसने मुझे झिड़क कर कहा। बात आगे न बढ़ाने के उद्देश्य से मैं हमेशा चुप हो जाती । और शायद मेरी चुप्पी ही उसे मेरी स्वीकृति लगती थी । 

मुझे समझ में नहीं आता था कि मैं उसे यकीन दिलाने के लिए क्या करूं ?मैं अपने घर जाती तो वो वहां से भी मुझे कठपुतली की तरह नचाता । 

रवि- “कहां हो ?”

मैं -“घर पर “

रवि -“आवाज तो गाड़ियों की आ रही है ? क्या तुम कहीं घूमने निकली हो? अपने आशिकों से मिलने गयी होगी । 

मैं- “मेरा घर सड़क के किनारे है, यहां गाड़ियों की आवाज नहीं तो क्या सुनाई देगा?”

रवि - “यार तुम तो बुरा मान जाती हो, मैं बस मजाक करता हूं, अच्छा घर पर हो तो सासूमां से बात करा दो ।“

मैं जानती थी वो सिर्फ कन्फर्म करने के लिए मां से बात करना चाहता है कि मैं दिनभर कहीं गयी तो नहीं। मेरी भोली मां उसे बता देतीं कि मुझसे मिलने संतोष आया या मैं अपने घर के बगल में रहने वाली फ्रैन्ड के घर गयी और ये बातें दिनरात मुझे सुनाईं जातीं। मैं मायके जाने से डरने लगी।

मेरे फोन रिकार्ड्स चेक किये जाते और रिकॉर्ड किये जाते थे । अड़ोस पड़ोस की औरतों से भी बात करने की मनाही थी । अव्वल तो मायके जाने नहीं मिलता या जाती भी तो पति के साथ जाओ और उसी के साथ वापस आओ। 

मैंन जब रवि से कहा कि मैं अभी बच्चा संभालने के लिए तैयार नहीं इसलिए मां नहीं बनना चाहती । इस बात के लिए उसने मेरी मां, मेरी चाची और मेरी मामी सबको फोन मिला डाला । 

रवि – “मांजी आप ही बताइये क्या मैं आपको इतना निकम्मा लगता हूं कि अपने बच्चे की परवरिश नहीं कर सकता । मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजिनियर हूं । मेरे परिवार वाले भी बच्चे का मुंह देखने को तरस रहे हैं आखिर घर का सबसे बड़ा बेटा हूं। और ये कहती है " मैं मां नहीं बनना चाहती "। कहीं मैं अपने घरवालों को ये बता दूं तो हड़कंप मच जाये। पर मैं नहीं चाहता कि मेरी पत्नी के विषय में कोई भी गलत धारणा बनाये । इसलिए मैंने सारा इल्जाम अपने ऊपर ले लिया। “ वो हमेशा मुझे दोषी ठहराकर खुद मासूम बन जाता । 

मेरी मां मौसी और चाची सबने मिलकर मुझे यही सलाह दी कि पहले बच्चे को लेकर तो ससुराल में सभी को बहुत आशाएं होंगीं उन्हें मत तोड़ो और आखिर मैं गर्भवती भी हो गयी। 

यूं तो मेरी सास कभी मुझे फोन नहीं करती थीं पर जब भी करतीं तो बस यही ताना मारतीं कि मैंने उनका बेटा उनसे छीन लिया । मैं खुद नहीं जानती कि मैंने ऐसा कैसे और कब किया ?

उस दिन पड़ोस की एक भली औरत जो कभी कभी मुझसे हाल चाल ले लिया करती थी वह मेरे घर आ गयी।

सीमा भाभी- “अरे सुनीता तेरा कौन सा महीना चल रहा है ?”

मैं – “छठा “

भाभी – “अच्छा अगर कोई प्राब्लम हो तो बताना । मैं तुम्हें डॉक्टर के पास ले चलूंगी । रवि तो अक्सर घर पर रहता नहीं ऐसे में कभी भी कुछ भी जरूरत पड़ सकती है । अपने आपको कभी अकेला मत समझना । रवि का नेचर तो बहुत ही अच्छा है । वह तो मुझे भाभी बोलता है और बड़े प्रेम से पेश आता है वरना यहां दिल्ली में किसके पास किसी से हंसकर बात करने की फुरसत है । भगवान तुम दोनों को सदा खुश रखें। “

रवि- “सुनीता आज कोई आया था क्या ? “ सिंक में पड़े चाय नाश्ते के कप प्लेटों को देखते हुए रवि ने पूछा।

मैं – “हां बगल की सीमा भाभी आईं थीं । “

रवि – “क्यों ? तुमसे मना किया था न कि दिल्ली के लोग बहुत धूर्त और चालाक होते हैं । ये सब औरते दुष्ट , चरित्रहीन और मूर्ख है इनसे दूर रहो । और उस सीमा का तो पड़ोस में रहने वाले लड़के से अफेयर चल रहा है, ये बात सारा मोहल्ला जानता है । पति के जाते ही उसे घर बुला लेती है और फिर ..........। मैंने तुम्हें उसके बारे में पहले भी बताया था कि वो तो मुझे भी लाइन मारती है । फिर भी तुमने उसके जैसी औरत को घर में बुलाकर चाय नाश्ता कराया ?”

मैं – “पर वो तो आपकी बहुत तारीफ कर रही थीं और मुझे प्रेग्नेंट देखकर कह रही थी कोई जरूरत हो तो बताना।“

रवि –“अच्छा ...... मेरी तारीफ तो करेंगी ही मुझे फंसाना जो है । क्या तुम्हें लगता है कि वो तुम्हारा ख्याल मुझसे बेहतर रख सकती है? “

मैं –“मैंने ऐसा तो नहीं कहा पर कोई आ जाए तो क्या भगा दूं ?”

रवि – “हां बिल्कुल भगा दो । तुम्हारा पति मैं हूं वो नहीं । किसी भी बाहरी व्यक्ति से फालतू मेल जोल बढ़ाने की जरूरत नहीं । यहां की औरते सब शराबी और बदचलन हैं, और मैं नहीं चाहता कि मेरी भोली भाली पत्नी भी उनके रंग मे रंग जाये। सुनीता ..... तुम बहुत सीधी और भोली हो । तुम्हें मैं दुनिया की बुराइयों से बचाना चाहता हूं। इसीलिए थोड़ी सख्ती बरतता हूं। कोई बात नहीं पर आज के बाद वो औरत आये तो बाहर से ही उसे हालचाल देकर कोई बहाना बनाकर बाहर से ही भगा देना। “

ये कहकर उसने मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथों में लिया और मेरे माथे पर चुंबन दिया । जब मैं तर्क देती तो वो मुझे इसी तरह निरस्त्र कर देता था । मुझे समझ में नहीं आता था कि मैं ऐसा क्या करूं कि वो नाराज न हो , दुखी न हो और परेशान न हो । मेरी मां भी मुझे फोन करतीं तो मैं गिनी चुनी बात करके फोन जल्दी से जल्दी रख देती । सीमा भाभी को भी मैंने बाहर से ही टरकाना शुरु कर दिया आखिर उन्होंने भी हार मान ली और मेरे घर आना छोड़ दिया। 

मेरा आठवां महीना चल रहा था जब एक दिन घर की डोर बेल बजी । ये रवि के आने का समय नहीं था दिल धड़क गया कि कौन होगा ? कहीं सीमा भाभी तो नहीं?

दरवाजा खोलते ही एक जानापहचाना चेहरा दिखा पर कुछ याद नहीं आया कि ये कौन है ?

“अरे सुनीता मैं छाया तेरे बचपन की फ्रैन्ड भूल गयी या मेरा नया रूप देखकर कन्फ्यूज हो गयी ।“ उसने उसी चिरपरिचित अंदाज में मटककर कहा । 

छाया मेरे बचपन की सहेली थी हम एक ही स्कूल, एक ही कॉलेज में पढ़े थे, हमारे घर भी आस पास ही थे । हमारा बचपन और किशोरावस्था एक दूसरे के घरों में ही बीता है। उसे देखकर उसे गले लगाने की तेज इच्छा हुई पर औपचारिक मुस्कान देकर मैंने डरते हुए उसके भीतर आने के लिए रास्ता दिया। 

छाया –“ वाह यार घर तो बहुत बढ़िया है । तेरा पति खूब कमाता होगा । वरना दिल्ली शहर में अपना घर होना कोई छोटी बात तो नहीं। “

मैं – “और कैसी है ? तू बैठ मैं चाय लेकर आती हूं । “ मैं जल्दी से जल्दी उसे टरकाना चाहती थी। 

छाया – “क्या यार?????? क्या अब हम इतने दूर हो गये हैं कि तू मुझे मेहमानों की तरह चाय नाश्ता कराएगी । मैं खुद बना लूंगी तू तो यहां बैठ मेरे पास । “

छाया ने मुझे खींचा और सोफे पर पसर गयी । वो मुझे अपने दिल्ली शिफ्ट होने की कहानी सुना रही थी पर मेरा ध्यान कहीं और ही था । 

छाया-“सुनीता क्या बात है ?” छाया ने मेरा उड़ा हुआ रंग देखकर कहा । 

मैं – “कुछ नहीं बस कुछ तबीयत ठीक नहीं। “ मैंने साफ झूठ बोला। 

छाया ने मुझे गले लगा लिया – “मुझसे झूठ बोलकर तुझे लगता है कि तू बच जाएगी । पर तू नहीं जानती तू कांप रही है ये एंजॉयटी के लक्षण हैं । मैं एक साइकोलॉजस्ट की बेटी हूं, भूल गयी ? पापा ने यहीं एक क्लीनिक शुरू किया है । मैं भी उनके साथ प्रैक्टिस करती हूं। मैं पहले भी तेरे दिल में झांक सकती थी तुझे पढ़ने के लिए मुझे पी एच डी करने की जरूरत नहीं। “

मेरा रोका हुआ बांध टूट गया और मैंने बेध्यानी में उसे सबकुछ बता दिया । 

छाया . ये लोग परजीवी की तरह होते हैं जो दूसरों का खून चूसकर जीते हैं । हैरी पॉटर याद है न? हमदोनो साथ ही देखने गये थे । उसमें डेमेन्टर्स या दमपिशाच की तरह ये लोग भी जबतक हमारे आस पास रहते हैं हमारी सारी खुशियां चूसते रहते हैं और बस दुख भरी यादें ही हमारे पास रह जाती हैं । पर दमपिशाच जब आपके आसपास न हों तो आप बेहतर फील करते हैं जबकि नार्सिसिस्ट तुमसे दूर रहकर भी तुम्हारी खुशियां चूस सकते हैं। तेरी मां को कुछ शक था, इसीलिए जब हमलोग यहां शिफ्ट हुए तो उन्होंने तेरा पता मुझे दिया और कहा कि मैं तुझसे कभी कभी मिल आया करूं । अभी तेरा बच्चा इस दुनिया में आया भी नहीं है । अभी भी समय है । क्या तू उसे इस माहौल में जन्म देगी ? मैंने ऐसे लोगों को करीब से देखा है । एक बार बच्चा हो गया तो इस जाल से निकलना और भी मुश्किल होगा। जब कभी तू इनसे दूर जाना चाहेगी तब समाज में दूसरी औरतें तुझे यकीन दिलाएंगीं कि बेटा अपने बच्चे का मुंह देख कर जी , जब तेरे बच्चे बड़े होंगे तब तेरे अच्छे दिन आ जाएगें पर यकीन मान, तू इन्तजार करती रह जाएगी और अच्छे दिन कभी नहीं आएंगे । ये लोग बच्चों में उनकी मां के प्रति भी जहर भर देते हैं। निर्णय लेने का यही सही समय है । कम से कम तू अपने बच्चे की नजरों में तो नहीं गिरेगी। “

मैं- “तो मैं क्या करूं ?” मैं फट पड़ी । 

छाया – “कड़े फैसले लेने होंगे । तू अपने पति की पत्नी नहीं बल्कि उसका भोजन है । वह वैम्पायर की तरह तेरे खून पर जी रहा है । तुझे खुद को मजबूत करना होगा और उससे पीछा छुड़ाना होगा । तुझे अपनी जिन्दगी जीने का पूरा हक है । अपने लिए नहीं तो अपने बच्चे के लिए इस नर्क से निकलना होगा। हमसब तेरे साथ हैं, तू मेरे घर चल, मैं तुझे अपने पापा के क्लीनिक में जॉब दिला दूंगी । वो तुझे धमकियां देगा , डराएगा , बुरा भला कहेगा पर वो खुद बहुत कमजोर है । यकीन मान तेरा डर ही उसे ताकत दे रहा है, वरना वह किसी खरगोश को भी नहीं मार सकता । “

छाया ने बहुत देर तक मुझे नार्सिसिस्ट की कहानियां सुनाईं और मुझे अपने पति से तलाक लेकर नया जीवन शुरु करने का सुझाव दिया । मैं उसी समय अपना सामान बांधकर वहां से चली गयी । उसके बाद शुरु हुआ मेरे और मेरे परिवार के लिए भयंकर त्रासदी का दौर । वो दिनभर मेरे घरवालों को और मुझे धमकियां देता। इस बीच मैं एक बच्ची की मां भी बन गयी मैंने उसका फोन ब्लॉक पर लगाया पर छाया ने हटवा दिया यह कहकर कि उसकी धमकियां कोर्ट में उसके खिलाफ काम आएंगीं । 

रवि –“मैं तेरे जैसी छिनाल और उसकी नाजायज औलाद को एक फूटी कौड़ी नहीं दूंगा। मैं नौकरी छोड़कर संयासी हो जाऊंगा न कमाऊंगा न काम करूंगा फिर तू कैसे मुझसे कम्पन्शेशन ले सकेगी । “

मैं- “मुझे कंपन्शेशन नहीं चाहिए मैं म्यूचुअल सेपरेशन के लिये तैयार हूं । बस तुम मेरा पीछा छोड़ दो । मैं अपनी बच्ची खुद पाल लूंगी। “

रवि – “तू और तेरी बेटी दोनों छिनाला करके पेट पालेंगी । तू नहीं जानती समाज में अकेली औरत की क्या दुर्गत होती है । तेरी बेटी को भी लोग हमेशा बुरी नजर से ही देखेंगे और बड़े होते-होते वो भी तेरी तरह छिनाल बन चुकी होगी । अभी भी वक्त है, लौट आओ सुनीता, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं । मैंने कभी भी तुमपर हाथ नहीं उठाया, वरना कई पति अपनी पत्नियों के साथ कैसी बर्बरता करते हैं । हो सकता है मैंने कभी-कभी तुमसे सख्ती बरती हो, पर मैं माफी मांगता हूं और तुम्हारे साथ नयी शुरुआत करना चाहता हूं। वो मेरी भी बच्ची है उसे अपने पिता का प्यार मिलना ही चाहिए। मैं उसे राजकुमारी की तरह रखूंगा । “ वो अचानक गरम और अचानक नरम हो जाता । ऐसे रोने लगता की पत्थर भी पिघल जाए पर मैं नहीं पिघली ।

मैं – “अभी कुछ देर पहले ही तुमने उसे नाजायज पुकारा था। “ इतना सुनते ही वो अपनी लैंग्वेज पर उतर आया । उसे मेरी न बर्दास्त नही होती ।

रवि चीखता रहा और मैंने फोन एक तरफ रख दिया । फोन मैं नहीं काटती थी क्योंकि छाया के अनुसार उसकी धमकियां कोर्ट में हमारे फेवर में काम आएंगी। आज तलाक के पेपर्स हाथ में लेकर मैं बता नहीं सकती मैं कितना हल्का महसूस कर रही हूं । 

यह एक नई शुरुआत है और नई मैं।


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