प्रेम
प्रेम
नमस्कार दोस्तों उतरेटिया (लखनऊ) से मिस्टर जुगल किशोर की खास फरमाईश पर हम आपको सुनाते हैं फिल्म- कर्ज से ये खूबसूरत गीत “मेरी उमर के नौजवानों”, गायक- किशोर कुमार, लिरिक्स- आनन्द बख्शी, संगीत- लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, अभिनेता- ऋषिकपूर और डायरेक्टर- सुभाष घई ।
हे तुमने कभी
किसी से प्यार किया
किया
कभी किसी को दिल दिया
दिया
मैंने भी दिया
ला ला ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला
मेरी उम्र के नौजवानों
ला ला ला ला ला ला ला ला
दिल ना लगाना ओ दीवानो
ला ला ला ला ला ला ला ला
ऐ मेरी उम्र के नौजवानों
दिल ना लगाना ओ दीवानो
मैंने प्यार करके चैन
खोया नींद खोयी
अरे झुठ तोह कहते नहीं
है कहते नहीं है लोग कोई
ऐ प्यार से बढ़कर नहीं
है बढ़कर नहीं है रोग कोई
चलता नहीं है दिल देके
यारो इस दिल पे ज़ोर कोई
चलता नहीं है दिल देके
यारो इस दिल पे ज़ोर कोई
इस रोग का नहीं है इलाज
दुनिया में और कोई
तोह गाओ ॐ शांति
ओम शांति शांति ॐ
ओम शांति ओम शांति शांति ॐ
ओम शांति ओम शांति शांति ॐ
ओम शांति ओम शांति शांति ॐ
उतरेटिया में जुगल किशोर दर्द में डूबा रेडियो पर यह गीत खुद भी सुन रहा था और अपने दोस्तों को भी सुना रहा था।
पम्मी - “क्या हुआ बे? क्यों रो-रो के पूरा उतरेटिया डुबाय रहा है?“
जुगल -“हां जैसे तुम लोगन का कुछ पतै नहीं न । चमेली की शादी हो रही है ।“
पम्मी -“तो ? वो तो होनी ही थी । फिर वो तुझे पसंद भी तो नहीं करती थी। उसने साफ साफ तुझे मना कर दिया था, पर तू ही उसके पीछे-पीछे मंजनू बना घूमता था।“
जुगल -“यार तू नहीं समझेगा । मैं उसे बहुत प्रेम करता हूं। उसके बिना मेरा जीना बेकार है अगर वो मुझे न मिली तो ... तो मैं जान दे दूंगा।“
इतना कहकर जुगल किशोर ने तकिये के नीचे से एक जहर की शीशी निकाल कर दिखाई।
पम्मी –“अबे पागल है क्या? फेंक उसे ।“
प्रदीप –“हां यार चमेली नहीं न सही हम तेरे लिए उससे भी सुंदर लड़की ढूंढ कर लाएंगे।“
जुगल-“नहीं यार मुझे तो वही चाहिए। तुम लोग मेरी सहायता नहीं करोगे तो मैं जान दे दूंगा।“
पम्मी -“अच्छा ठीक है तू रुक मैं कुछ करता हूं।
प्रदीप -“क्या करेगा बे तू?”
पम्मी – “वो लोग मेरी दुकान पर शादी के कपड़े पसंद करने आएंगे तो मैं तेरी चिट्ठी धीरे से साड़ियों के बीच छुपाकर उस तक पहुंचा दूंगा। चल अब रोना धोना छोड़कर एक बढ़िया सी प्रेमपाती लिख ।“
मेरी प्यारी चमेली
तुम से मैं बहुत प्रेम करता हूं । जब मैं बच्चा था तबसे, बस तुमसे ही प्रेम करता रहा हूं। ऐसा प्यार करने वाला तुम्हें कोई नहीं मिलेगा। आजकल के लरिका तो हर महीने अपनी गर्लफ्रैंड बदलते हैं। दू-दू, चार-चार गर्लफ्रैन्ड घुमाते हैं । पर हम राम जी के भक्त तुम्हरे सिवाय कौनों लरिकी का नाहीं देखा। याद है ....... जब तुम हाई स्कूल में पढ़त रहीं, तब एक लरिका तुमका लाइन मारता था, ऊ साला हर समय तुम्हरे साथ दिखाई दे जात रहा। जब हम ऊका तुम्हरे साथ देखत रहिंन तो हमरे तो खून खौल जात रहा । जानत हो ऊका कौन रस्ते से हटाइस रहा ? हम, जुगल किशोर, वल्द राज किशोर, गांव उतरेटिया, जिला लखनऊ। हम ऊका इतना पीटा कि ऊ हस्पताल पहुंच गवा । और ऊके घर वालन की हिम्मत नाय हुई कि हमरे खिलाफ कौनों रपट लिखाएं। सोचो जौन तुम्हरे खातिर इतना सब कर सकत है, ऊ तुमका कितना खुश रखी ।
आज रात सबके सोवे के बाद हमसे पीपरा के नीचे मिलो हम तुमका भगा लै जाएंगे। तुम्हरे घरवाले हमका तुमसे अलग नाहीं कर पायेंगे। अगर तुम नहीं आ सकीं तो भी कौनो चिंता नहीं हम पृथ्वीराज चौहान की तरह अपनी संयोजकता को भरे मंडप से ले जाएंगे।
तुम्हारा दिलजला आशिक जुगल किशोर ।“
प्रदीप –“अबे ये लेटर लिख रहा है कि धमकी दे रहा है।“
जुगल –“जौनो समझ लेवो । पर चमेली तो हमारी है ।“
पम्मी –“हां हां अब तो दिलवाले दुल्हनियां ले ही जाएँगे।“
मैं ने किसी को दिल दे के कर ली
रातें खराब देखो
आया नहीं अभी तक उधर से
कोई जवाब देखो
वो न कहेंगी तो ख़ुद्कुशी सी कर जाऊँगा मैं यारों
वो हाँ कहेंगी तो भी खुशी से मर जाऊँगा मैं यारों
ओम शान्ति ओम, शान्ति शान्ति ओम
ओम शान्ति ओम, शान्ति शान्ति ओम
शाम को चमेली जब अपनी सुंदर साड़ियाँ खोल-खोल कर शीशे के सामने अपने ऊपर डालकर खुद को आईने में निहार रही थी तभी वह प्रेम पत्र अचानक एक साड़ी से खिसककर नीचे गिर गया। उसे पढ़ते ही चमेली की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। हाईस्कूल में जिस लड़के की पिटाई उस आवारा, शराबी और छिछोरे जुगल किशोर ने की थी उसका परिवार शहर जाकर बस गया था । पर चमेली की उस लड़के से खतों के जरिये बातचीत जारी रही । फिर फेसबुक और वाट्सऐप पर उनकी दोस्ती बनी रही और अब आखिर वो दोनों एक दूसरे से शादी करने वाले हैं। जुगल किशोर को ये पता चला तो ? इस बार तो वो उसे जान से ही मार देगा। चमेली ने फौरन चिट्ठी की एक फोटो अपने होने वाले पति को भेजी। और इसके बाद पत्र लेकर अपने पिता के पास पहुंची। चमेली के ससुराल वालों का भी उसी समय फोन आ गया और उन्होंने पुलिस में शिकायत कराने की सलाह दी। पिछली बार वो लोग डरकर भाग गये थे पर कब तक भागते रहें और क्यो? देश में कानून नाम की कोई चीज है भी या नहीं? आनन फानन वो लोग पुलिस कंप्लेन करने गये। पुलिस तुरंत हरकत में आ गयी और जुगल किशोर को घर से उठवा लिया गया । जुगल के घरवालों ने पुलिस के बहुत हाथ पैर जोड़े और फिर चमेली के पिता के हाथ पांव जोड़े कि केस वापस कर लें वरना उनके बेटे का जीवन बर्बाद हो जाएगा। जुगल की मां तो चमेली के चरणों में गिर पड़ीं । आखिर चमेली के पिता ने तरस खाकर केस दर्ज नहीं कराया पर उन्हें समझा दिया कि उनकी बेटी की शादी में कोई बाधा न आये । जुगल की मां ने वादा किया।
जो छुप गया है पहली नज़र का पहला सलाम लेकर
हर एक साँस लेता हूँ अब मैं उसका ही नाम लेकर
मेरे हज़ारों दीवानों मैं अब खुद बन गया दीवाना
जिस वक़्त प्यार तुम पे आ जाये तो ये गीत गाना
जुगल घर तो आ गया पर उसे ये बात बहुत नागवार गुजर रही थी कि चमेली ने उसे ठुकरा दिया । अब वो उस घमंडी लड़की को सबक सिखाने की योजना बनाने लगा। और वो उसे ऐसी सजा देना चाहता था जिससे कि वो किसी को मुंह दिखाने के लायक न रहे। उस दिन चमेली की विदाई वाले दिन वो सुबह सुबह उठ गया ये देखकर उसकी मां शारदा उसके कमरे में देखने आयीं । वो हड़बड़ी में कुछ अपनी जेब में भरकर बाहर निकल रहा था ।
शारदा -“जुगल कहां जा रहा है ?”
जुगल-“कहीं नहीं अम्मा तुम अपना काम करो । “
शारदा –“देख तेरा दिमाग ज्यादा न खराब हो, चल घर में बैठ चुपचाप । दिन भर आवारा गर्दी करता है इससे तो अच्छा है कि अपने बापू की दुकान पर बैठा कर । क्या मिलता है ये सब करके ? तेरी वजह से हमें कितनी शर्मिंदगी उठानी पड़ी । उन नीच जाति वालों के पैर तक छूने पड़े । अभी भी तेरी बुद्धि उसी लड़की में लगी है । अरे ऐसा क्या है उस कुलच्छिनी में? जा अन्दर जा।“
जुगल-“मैं कोई दस बरस का लौंडा नहीं कि तुम्हरे कहे पर चलूंगा। और तुम्हारे अपमान का बदला तो मैं उस कुतिया से लेकर ही रहूंगा। “
उसकी मां चिल्लाती रही पर वो झटके से बाहर निकल गया । शारदा उसके बापू को बताने दौड़ी पर तभी उसकी नजर टेबल पर गयी, वहां कुछ गिरा था । तेजाब । जुगल शीशी में तेजाब भर रहा था जो टेबल पर गिर गया था और टेबल जल गयी थी । शारदा ने उसे जेब में एक बोतल ठूंसते हुए देखा भी था । यह बात दिमाग में आते ही वो पति को भूलकर अपने बेटे के पीछे भागीं । चमेली के विदाई का समय है जरूर जुगल वहीं गया है। इधर जुगल जनाने कपड़े पहनकर भीड़ में घुस गया था और मौके की फिराक में था । जुगल की मां भी वहां पहुंच गयीं पर उन्हें जुगल दिखाई नहीं दिया क्योंकि वह साड़ी पहनकर घूंघट डाले था । पर जल्द ही जुगल की मां की नजर एक औरत के पैर पर गयी उसने जेन्ट्स जूते पहने थे। भला साड़ी के साथ कोई जेन्ट्स जूता क्यों पहनेगी ? वो तुरंत उसकी ओर लपकीं । तभी अपने रिश्तेदारों के गले लगकर रोती हुई चमेली जुगल की ओर बढ़ी जुगल ने तुरंत शीशी निकाली और तेजाब फेंका पर तेजाब की कुछ छींटे ही चमेली के गाल और गले पर पड़ीं बाकी का तेजाब जुगल की मां के चेहरे को धो गया। चीखकर शारदा जमीन पर गिर पड़ी । चारों ओर चित्कार गूंज उठा । कोलाहल का फायदा उठाकर जुगल वहां से भाग खड़ा हुआ।
ओम शान्ति ओम, शान्ति शान्ति ओम
ओम शान्ति ओम, शान्ति शान्ति ओम
आखिर जुगल पकड़ा गया और उसे मोहनलाल गंज की जेल भेज दिया गया। जब जेल मे जुगल की मां उससे मिलने आईं तो उनका झुलसा हुआ चेहरा देखकर वह रो पड़ा । उनकी एक आँख हमेशा के लिए खराब हो चुकी थी और दायीं ओर का पूरा चेहरा अजीब ढंग से विकृत हो चुका था । अब ये चेहरा जीवनभ र उसे उसकी गलती याद दिलाएगा । इधर चमेली के चेहरे और गले पर, जहां तेजाब की छींटें पड़ी, वहां भी दाग पड़ गये, जो शायद उसके चेहरे से चले भी जाएं, पर दिल से कभी नहीं जाएंगे। पता नहीं अभी भी जुगल को अपने किये पर दिल से पछतावा है या नहीं । पता नहीं उन अनेक आशिकों को कभी पछतावा होगा या नहीं पर कब तक हमारी बेटियां इस दहशत गर्दी में जीती रहेंगी। मोहब्बत हो या जंग , जायज, जायज होता है और नाजायज, नाजायज ही रहता है।
मेरी उमर के नौजवानों...
ओम शान्ति ओम, शान्ति शान्ति ओम...
