अंतरिक्ष यात्री
अंतरिक्ष यात्री
16-10-2013 रात 1 बजे।
“पर भारत ही क्यों ? अमेरिका सबसे सुरक्षित रहेगा। “
“भारत में हमने हमारे कुछ गुप्त हथियार छुपा रखे हैं, जो बेहद शक्तिशाली हैं और जिनकी हमें तुरंत आवश्यकता है। हमारी आकाशगंगा पर दूसरी आकाश गंगा वासियों ने पुनः आक्रमण कर दिया हैं। उनसे निपटने के हथियार हमने धरती पर भारत में सुरक्षित रख दिये थे। हर बार जब हमें उनकी जरूरत पड़ी धरती वासियों ने हमें सहायता दी। परंतु इस बार इतने सवाल जवाब क्यों ?क्या आपको अपने विज्ञान पर गर्व हो रहा है, तो बता दें कि आपका विज्ञान अभी भी हमसे बहुत पीछे है। “
“नहीं………. ऐसा नहीं है ………..परंतु भारत में घनी आबादी पाई जाती हैं और जिस स्थान पर आप जाना चाहते हैं वह हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। आप बिना मनुष्यों का ध्यान आकर्षित किये नहीं जा सकेंगे। और हमारा आपसी समझौता है, कि आम इंसान अभी परग्रहवासियों की हकीकत के लिए तैयार नहीं हैं, वो डर जाएँगे और पता नहीं क्या रिएक्ट करेंगे। “
“हम आपकी बात से सहमत हैं परन्तु आप भी हमारी समस्या को समझें। यदि हमें समय रहते वह हथियार न मिले तो हमारी आकाशगंगा खतरे में पड़ जाएगी और आपकी आकाशगंगा व धरती भी सुरक्षित नहीं रहैगी आप जानते हैं कि हमने धरती को अनेक दुष्ट परग्रहवासियों से समय समय पर बचाया है। अनेक उल्काओं की दिशा बदली हैं ताकि धरती सुरक्षित रहे।
आकाशगंगा देवारि में स्थित ग्रह शनि के निवासी जो स्वयं को असुर कहते हैं, हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं। वो अक्सर हम पर हमला करते हैं। यदि वो एक बार भी जीत जाते तो आज धरती पर मानवों का आस्तित्व न रहता। “
“मैं भारत के प्रधान मंत्री से जल्द से जल्द संपर्क करता हूं और आपको बताता हूं।“
कहकर फ्रांस के राष्ट्रपति ने फोन रख दिया। उनके फोन पर एक ऐसे नंबर से कॉल आयी थी जो कि प्राइवेट लाइन थी। फोन उठाने पर उन्हे पता चला कि यह कॉल अनुनाका नामक ग्रह के वासी का फोन था ये स्वयं को देव कहते है। इन्होने भारत में अपना अंतरिक्ष यान उतारने की आज्ञा मांगी हैं।
यह फोन फ्रांस व अमेरिका सहित कई देशों की सरकारों को गया जिसमें भारत के प्रधान मंत्री भी थे।
अगले दिन प्रधान मंत्री को फोन आने शुरू हो गये सभी जानना चाहते थे कि भारत इस विषय में क्या कदम उठा रहा है।
प्रधान मंत्री चिंतित से अपने कक्ष में टहल रहे थे। कोई भी अंतरिक्ष यान बिना लोगों की नजर मैं आये कैसे भारत में लैंड कर सकता है। ऊपर से ये मीडिया वाले। यदि आम जनता को परग्रहवासियों व उनके युद्ध के विषय में पता चला तो हड़कंप मच जाएगा।
तभी एक खबर ने प्रधानमंत्री की सारी मुश्किलें आसान कर दीं। शोभन सरकान नामक एक संन्यासी ने स्वप्न में देखा कि उन्नाव के डौडियाखेड़ा स्थित राजा राम बख्श सिंह के किले में 1000 टन सोना खजाने के रूप में दबा हुआ है। संन्यासी का दावा था कि वह खजाना भारत की सारी समस्याएं दूर कर देगा।
बस प्रधान मंत्री ने तुरंत पुरातत्व विभाग से संपर्क किया। और उस किले में खुदाई प्रारंभ करा दी। देश की सारी मीडिया अब दिन रात माइक लिए व कैमरा लिए यही मौजूद थी। 29 दिनों तक लोग अपने घरों में टीवी के सामने बैठे 1000 टन सोने का इंतजार करते रहैं।
इस बीच किसी का ध्यान नहीं गया कि रात के अंधकार में दक्षिण भारतीय पर्वत श्रंखला पर एक अंतरिक्षयान से कुछ अँतरिक्ष यात्री उतरे और आपना काम पूरा करके वापस चले गए।
यह खुदाई अभियान बंद हो जाता पर प्रधान मंत्री को परग्रहियों का संदेश मिला कि वो पुनः धरती पर युद्ध खत्म होते ही अपने हथियार छुपाने आएँगे। परिणाम स्वरूप यह अभियान चालू रखा गया। 29 दिनों के बाद जब हिन्दुओं के उस पवित्र स्थान पर पुनः उनके देवताओं के हथियार प्रतिष्ठठापित कर दिया गया। तब अचानक खुदाई का काम रोक दिया गया।
मीडिया में शोभनसरकार व भारत के प्रधानमंत्री की बड़ी किरकिरी हुई पर अंतरिक्ष यात्रियों के रहस्य को पूरी तरह छुपाया जा सका। अनेक देशों के प्रधानमंत्रियों ने फोन पर भारत के प्रधान मंत्री को शुभकामनाएँ दीं। उनकी सूझ बूझ से बिना किसी हंगांमें के इस काम को अंजाम दिया गया। वहीं परग्रहियों ने भी प्रधान मंत्री का आभार व्यक्त किया।