बच्चे
बच्चे
बच्चे मन के सच्चे
सारी जग के आँख के तारे
ये वो नन्हे फूल हैं जो
भगवान को लगते प्यारे
कक्षा में मैडम बच्चो को एनुअल फंक्शन के लिए ये गीत रटा रही थीं। चौथी कक्षा में सबसे आगे बैठे अमित और आरिफ झूम झूम कर गीत गा रहे थे।
खुद रूठे, खुद मन जाये, फिर हमजोली बन जाये
झगड़ा जिसके साथ करें, अगले ही पल फिर बात करें
इनकी किसी से बैर नहीं, इनके लिये कोई ग़ैर नहीं
इनका भोलापन मिलता है, सबको बाँह पसारे
बच्चे मन के सच्चे ...
"जय हनुमान " अमित मेले से एक प्लास्टिक की गदा खरीद के लाया था और हनुमान बना पार्क में बच्चो को जय हनुमान या जय श्री राम की जयकार करता दौड़ा रहा था । उसने आरिफ को कुछ ज्यादा ही जोर से गदा मार दी ।
इन्ससान जब तक बच्चा है, तब तक समझ का कच्चा है
ज्यों ज्यों उसकी उमर बढ़े, मन पर झूठ क मैल चढ़े
क्रोध बढ़े, नफ़रत घेरे, लालच की आदत घेरे
बचपन इन पापों से हटकर अपनी उमर गुज़ारे
बच्चे मन के सच्चे ...
"तूने मुझे मारा ?"
"हनुमान जी ने मारा है मैने नहीं। हनुमान जी बहुत ताकतवर हैं।"
"हुह अल्लाह से ज्यादा ताकत किसी के पास नहीं ।"
"अच्छा पर हनुमान जी एक गदा लगायेगे तो अल्लाह रोने लगेंगे। " अमित ने रोते हुए कहा तो,
ही ही कर सब बच्चे हंसने लगे । तभी दोनो की मम्मियां उन्हे बुलाने आई । जब आरिफ की मां ने अमित की बात सुनी तो लगीं कोसने की उसके माता पिता उसे दूसरे धर्म का अपमान करना सिखाते हैं।
कुछ ही देर में घर के पुरुष भी निकल आए और एकदूसरे पर दोषारोपण करने लगे।
तन कोमल मन सुन्दर
हैं बच्चे बड़ों से बेहतर
इनमें छूत और छात नहीं, झूठी जात और पात नहीं
भाषा की तक़रार नहीं, मज़हब की दीवार नहीं
इनकी नज़रों में एक हैं, मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे
बच्चे मन के सच्चे ...
अभी वो लोग अपने अपने ग्रुप के लोगों को इकट्ठा कर ही रहे थे की अमित और आरिफ हाथो में हाथ लिए उसी ओर आते दिखाई दिए । आरिफ के हाथ में गदा थी और अमित ने तकियाह टोपी पहन रखी थी ।
"अब्बू अमित ने मुझे हनुमान की गदा गिफ्ट की है । तो मैंने उसे अपनी टोपी दे दी। "
"पापा अब अल्लाह और हनुमान पक्के दोस्त बन गए हैं । हैं न ?"
तभी एक बुजुर्ग आगे आए और भीड़ को संबोधित करते हुए बोले " चलो चलो सब अपने घर चलो अब अल्लाह और हनुमान में दोस्ती हो गई है । तमाशा खत्म हुआ । ऐसे बड़ों से तो बच्चे भले । "