पालतू
पालतू
“मेरा रट्टू तो सुबह सुबह गोलू स्कूल चल गोलू स्कूल चल कहकर चिल्लाता है ।“ गोलू ने पार्क में शेखी बघारी।
“मेरा टाइगर तो सुबह सुबह मेरे बिस्तर में घुस आता है और मेरा मुंह चाटकर मुझे उठाता है । वो तबतक मेरे कान चाटेगा जबतक कि मैं उठकर उसे भगाऊं न ।“ अविरल ने भी अपने पालतू कुत्ते की तारीफ की।
“मेरी कैटी भी स्कूल जाते समय मुझे दरवाजे तक बाय करने आती है ।“ रोली ने अपनी बिल्ली की खूबी बताई।
गोलू अविरल और रोली तीनों अपने अपने पेट्स की कहानियां सुना रहे थे पर कैफ के पास कोई पेट नहीं था । वो सबकी बाते सुनता रहा ।
“कैफ तेरे पास भी तो एक पेट था न वो मुर्गा ? क्या नाम रखा था तूने उसका ?”
“मुग्गू ......उसे तो इसकी मम्मी ने पका कर इसे ही खिला दिया । “रोली ने कुछ इस तरह कहा कि सब हंसने लगे।
रोली की बात कैफ को बहुत बुरी लगी । जब सब बच्चे अपने-अपने पालतू जानवर के साथ इकट्ठा होते तो मुग्गू का जलवा देखते ही बनाता था। अपनी कलगी ऊंची करे वो किसी स्टार की तरह बाकी जानवरों के बीच चलता था । वह कई करतब दिखाता था जैसे रिंग के बीच से कूदना। वह तो अविरल के टाइगर और रोली की कैटी की पीठ पर किसी राजा की तरह सवारी किया करता था । सुबह सुबह जब अम्मी दाना देने के लिए उसका पिंजरा खोलतीं तो वो बिस्तर पर चढ़कर कैफ के सिर पर चढ़कर पंख फड़फड़ाता और उसे जगाता था।
मुग्गू जब छोटा सा रुई के फाहे जैसा मुलायम चूजा था तब कैफ के अब्बू उसे लाये थे। कैफ वह चूजा अपने दोस्तों को दिखाने ले गया बस तभी से वह कैफ के पालतू के रूप में जाना जाने लगा। उसके सभी दोस्त उस पीले चमकदार रुई के फाहें जैसे चूजे को छूकर खुश हो रहे थे और उसको सबसे प्यारा पेट रखने के लिए बधाई दे रहे थे। कैफ उसके साथ बहुत खेलता था । वह कैफ को देखते ही उसके आस पास मंडराने लगता । कभी उसके हाथ पर चोंच मारता कभी पैर पर चोंच मारता कैफ को बहुत गुदगुदी होती । वह उसका ख्याल रखता । दो साल साथ रहने के बाद वह बहुत ही मोटा ताजा और स्वस्थ मुर्गा बन चुका था। एक दिन कैफ को पता चला कि उसकी मौसी घर आने वाली थीं जिसकी नयी नयी शादी हुई थी । मौसी और मौसा जी के स्वागत के लिए मुग्गू की बिरयानी बनने वाली थी।
“क्या ? क्यों ? मुग्गू मेरा पालतू है । आप बाजार से दूसरा मुर्गा खरीद लाईये ।“
“इतना मोटा मुर्गा बाजार में कहां मिलेगा ? और मिला भी तो बहुत मंहगा होगा।“ अम्मी ने कहा ।
“मुझे नहीं पता मेरे मुग्गू को कोई हाथ नहीं लगायेगा.... बस।“ अपना बैग उठाकर स्कूल जाते हुए कैफ ने अम्मी को धमकी दी। वह तीसरी कक्षा मे पढ़ता था जब यह घटना घटी ।
कैफ ने बहुत हंगामा किया कि उसके प्यारे मुर्गे को कोई हाथ नहीं लगायेगा पर जब वह स्कूल से घर वापस आया तो मुग्गू ढूंढे न मिला । उसके पंख जरूर डस्टबिन मे बिखरे मिले और घर बिरयानी की खुशबू से महक रहा था। उस दिन के बाद कैफ ने कभी चिकन बिरयानी नहीं खाई जबकि वो उसकी मोस्ट फेवरिट डिश थी । वह उस दिन बहुत रोया था। और उसके बाद कोई भी उसे नॉन वेज डिशेज नहीं खिला सका । आज रोली ने फिर उसकी याद ताजा कर दी । कैफ को बहुत गुस्सा आ रहा था सब उसपर हंस रहे थे ।
“चुप रहो..... मैंने गुग्गू को नहीं खाया । तुम सब गन्दे हो मुझे तुमसे बात नहीं करनी ।“
कैफ के बालमन पर इस घटना ने ऐसा असर छोड़ा कि उसने सभी जानवरों का ख्याल रखना शुरू कर दिया था । वह गली के कुत्तों के घाव धोता उन्हें घर से लाकर मरहम लगाता , अपनी बचायी हुई रोटियां देता और आवारा गायों को सहलाता । उसके माता पिता इस बात से बहुत परेशान थे । वह अपनी पॉकेट मनी गली के जानवरों पर ही खर्च कर देता । वह मार खाता, डांट खाता पर फिर भी वही करता जिसके लिए उसे मना किया गया था।
एक दिन उसके मोहल्ले में कुछ लोग आये ये लोग आवारा जानवरों की देखभाल करने वाली एक एन जी ओ के कार्यकर्ता थे । उस समय कैफ हाईस्कूल में था । वह उन लोगों के इस काम से इतना प्रभावित हुआ कि उसी समय उसने वह संस्था ज्वाइन कर ली । इस बात के लिए घर में बहुत बवाल हुआ पर कैफ ने किसी की न सुनी । जानवरों के प्रति उसकी दयालुता के किस्से घर घर कहे सुने जाने लगे ।
युवा होते होते वह एन जी ओ का स्थायी और खास सदस्य बन चुका था और यह एन जी ओ अब देशभर में आवारा जानवरों के लिए देखभाल सेंटर का निर्माण कर रही थी । कैफ के माता पिता अपने बेटे की प्रसिद्धि और उपलब्धि से बहुत खुश थे ।
जीवन के कटु अनुभव आपको तोड़ सकते हैं या आपको इतना मजबूत बना सकते हैं कि आप स्वयं दूसरों को टूटने से बचा सकें। अपनी सोच को सही दिशा देना बहुत जरूरी है । कैफ की तरह सबको अपने जीवन का सही उद्देश्य मिले इस आशा के साथ कहानी समाप्त करती हूं । जय श्री हरि।
