गर्मी की छुट्टियों का जादुई घर
गर्मी की छुट्टियों का जादुई घर
शोभा की शादी का कार्ड हाथ में थामे मैं खुशी से गदगद हो उठी । वह मेरे ममेरे भैया की सबसे बड़ी बेटी है। 20 वर्ष बीत गये मुझे नाना नानी के घर गए । नाना नानी के मरने के बाद मेरा ननिहाल जाना कम होता चला गया मैं पहले पढ़ाई में व्यस्त हुई फिर शादी के बाद अपने बच्चों में व्यस्त हो गई ।
बचपन में नाना नानी के घर हर गर्मी की छुट्टियों में जाना होता था । उनका घर गाँव में था । चारों ओर हरियाली व शांतिपूर्ण माहौल आज भी याद आता है । अब मेरी शादी हो गई है और मामा मासी का भी परिवार बड़ा हो गया है । सभी भाई बहनों के अपने परिवार हैं । हम सब अब अपने अपने परिवारों में व्यस्त हैं । एक समय था जब हम सब एकसाथ बैठ कर देर रात तक बातें करते थे । दिन भर गाँव में घूमते व नाना जी के बाग से ताजे फल तोड़ कर खाते । गाँव की तलैया में तैरते ।
मैने शादी में जाने की तैयारियाँ शुरू कीं । बच्चे गांव जाने के नाम पर चिढ़ गए और घर पर ही दादी के साथ रुकने की जिद करने लगे ।
मेरा का बेटा इन्टर में हैं वह अपने दोस्तों व मोबाइल से दूर नहीं होना चाहता था । क्योंकि गाँव में नेटवर्क की समस्या होना आम बात है । बेटी जो आठवीं मे पढ़ती है वह भी गांव जाने को कुछ खास उत्साहित नहीं थी और घर पर रुकना चाहती थी ।
पर मैं जिद करके उन्हें अपने साथ ले गई। हम शादी के एक सप्ताह पूर्व वहाँ पहुँच गए । गाँव में शादी कुछ घंटों का कार्यक्रम नहीं होता । सभी रीति रिवाज एक सप्ताह पूर्व ही शुरू हो जाते हैं।
वहाँ पहुंचते ही मेरे बच्चों को अपने हमउम्र बच्चे मिल गए और वो दोनों उनके साथ गाँव घूमने निकल गए । वापस आकर उन्होने बताया कि कैसे उन्होने बाग से ताजे फल तोड़कर खाये । तालाब में एक दूसरे पर पानी उछाला । पेड़ों पर चढ़ना सीखा । खेतों में हल चलाया ।
दोनों अपना मोबाईल व शहर को भूल कर पूरी तरह गाँव के रंग में रंग गए । यही वो जादुई घर है जहाँ समय बिताना मेरे जीवन का सबसे यादगार पल रहा है। मुझे खुशी है कि मेरे बच्चों को भी इस जादुई घर ने मोह लिया ।
