दुर्घटना
दुर्घटना
तोहफा, सुबह से उसे इसी का इंतजार था। आज शादी की सालगिरह थी और दिव्यांशी का पति शाम छः बजे घर आया। तो उसके हाथ में एक तोहफा था। सुनहरे कवर में ढका तोहफा देख दिव्यांशी खुश हो गई। अतुल ने आते ही पानी मांगा वह दौड़कर पानी लेने गई मुस्कुराते हुए उसे पानी पकड़ाया।
और पूछा
“इसमें क्या है ? देखूँ तो सही “ वह तोहफे को हाथ में लेकर खोलने ही वाली थी कि अतुल ने उससे वह छीन लिया।
“क्या कर रही हो ? दोबारा पैक करने में परेशानी होगी। कितनी अच्छी पैकिंग की है बिगड़ जाएगी तुम क्या करोगी देख कर ?“
“क्या मतलब ? आज हमारी शादी की सालगिरह है ये गिफ्ट मेरे लिए है न। ”
“मजाक कर रही हो शादी के पाँच साल बाद कौन शादी की सालगिरह मनाता है। जाकर अपना काम करो ये गिफ्ट मेरे बॉस की शादी की सालगिरह के लिए है। उनकी शादी को 25 वर्ष होने की खुशी में उन्होंने पूरे स्टाफ को अपने घर पार्टी पर बुलाया है। मैं जा रहा हूँ। जल्दी मेरे कपड़े निकाल दो। “
“एक बात कहूँ ?”
“क्या ?”
“अपने कपड़े खुद निकाल लो। “ दिव्यांशी अपने कमरे में जाकर बेटी के पास लेट गई जो अभी अभी सोई थी।
अतुल आखिर खुद ही तैयार होकर चला गया। घर की एक चाबी भी लेगया। ताकी लौटकर बीवी को परेशान न करना पड़े दरअसल उसे याद ही नहीं था कि आज उसकी भी शादी की सालगिरह है।
आधी रात को दिव्यांशी की नींद खुली तो पाया कि अतुल बिस्तर पर नहीं था। अतुल जब भी देर रात कोई पार्टी अटेंड करता तब अपने साथ घर की चाबी ले जाता था ताकि बिना बीवी को परेशान किये घर में प्रवेश कर सके। पहले तो दिव्यांशी को लगा वह वॉशरूम में होगा पर जब वह वहाँ भी नहीं मिला तो वह परेशान हो गई। रात के 3 बजे थे अब तक उसे घर आ जाना चाहिए था। उसका दिल किसी आशंका से घबरा उठा। उसने अपना मोबाइल उठाया और अतुल को फोन मिलाया। अतुल ने फोन काट दिया। तभी गेट पर गाड़ी की आवाज आई अतुल ने घर में प्रवेश किया।
“तुम अभी तक जग रही हो ?”
“अभी नींद खुली तो तुम्हें न पाकर परेशान हो गई। इतनी देर तक पार्टी चली तुम्हारी ?”
“पार्टी से तो रात 12 बजे ही निकल आये थे पर रास्ते में देर हो गई। रास्ते में एक औरत जो देखने में गर्भवती लग रही थी उसे लेकर एक आदमी परेशान सा टैक्सी ढूँढ रहा था। उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया था और कार एक पेड़ से टकरा गई थी वो तो भगवान का शुक्र है की उन लोगो को ज्यादा चोट नही आई थी। मैं उन्हें हॉस्पिटल छोड़ने चला गया। डिलीवरी में कुछ कॉम्प्लीकेशन थे, ऑपरेशन की औऱ ब्लड की जरूरत पड़ी तो मैने ब्लड डोनेट किया। मैं तुरंत निकलना चाहता था पर डॉक्टर ने कहा ब्लड डोनेशन के बाद आधा घंटा कहीं नहीं जाने देंगे। कमजोरी से चक्कर आ सकता है फलतः मुझे रुकना पड़ा। इन सब में देर हो गई। “
अगली सुबह अतुल के ऑफिस जाने के बाद अंकुर का फोन आया उसने बताया कि रिदिमा ने बेटी को जन्म दिया है। अंकुर उसकी बचपन की सहेली रिदिमा का पति था। उन्होने परिवार की मर्जी के खिलाफ तीन वर्ष पूर्व ही विवाह किया था। इन दिनों वो इसी शहर में रहने आये थे। शाम को वो अतुल के साथ मां बच्चे को देखने गई।
वहाँ उसे पता चला कि अतुल ने जिस दम्पत्ति की सहायता की थी वो ये दोनों ही थे। आखिर दिव्यांशी को अपना तोह्फा मिल गया था। उसे अपने पति पर गर्व था