ग्वालियर (म.प्र.) में जन्मे, खरगोन (म.प्र.) में पले बढ़े और बड़ौदा (गुजरात) में स्थाई रूप से बस चुके आशीष दलाल मानवीय संवेदनाओं को शब्दों के रूप में अभिव्यक्ति देने में माहिर है । उनके सरल, सहज व्यक्तित्व की छाप उनके लेखन में उतरती रहती है । वैसे तो लेखन से आशीष का रिश्ता उनके बचपन से ही है लेकिन... Read more
Share with friendsएक बार सुरभि के मन की भी तो सुन लो कि वह वाकई में क्या चाहती है ?
Submitted on 27 Aug, 2020 at 08:54 AM
बेटा, ये समय बैर भावना रखने का ना है। समझ से ठंडे दिमाग से काम ले।
Submitted on 09 Jul, 2020 at 06:01 AM
बूंदों को पोंछता हुआ आकृति के पीछे घर के अन्दर चला गया।
Submitted on 24 May, 2020 at 11:37 AM
ये मेरी बेटी है।’ उस वृद्धा ने दूसरी ओर उसकी तरफ इशारा कर कहा तो वह आश्चर्य से उसे देखन
Submitted on 18 Dec, 2019 at 11:05 AM
‘शालिनी और मेरे रिश्ते को एक नाम दे रहा हूं । इस बार रक्षाबंधन पर जो राखी तुमने अपने घर
Submitted on 15 Dec, 2019 at 08:35 AM
हार होने के भय से भागने से जीत कभी भी हासिल नहीं होती और किसी भी समस्या का हल जीवन का अंत कर देने से मिल जाता तो दुनिया ...
Submitted on 14 Dec, 2019 at 05:23 AM
‘शहीद! अरे! बेमौत मारा गया है वह और आप जैसे लोगों ने उसे शहादत का नाम दे दिया। मैं कुछ नहीं जानती। मुझे मेरा बेटा वापस ल...
Submitted on 11 Dec, 2019 at 16:21 PM
तुमने आज फिर आँखों के इशारे से समझाने की कोशिश की
Submitted on 11 Dec, 2019 at 16:03 PM
आंखों में उभर आये आंसुओं को अपनी साड़ी के पल्लू से पोंछकर अमित के साथ चल दी।
Submitted on 10 Dec, 2019 at 04:00 AM
‘बोलो न भैया । हर बात का सस्पेंस बना कर रखते हो ।’ ‘हं ... हां .... इस बार मैं सच में
Submitted on 07 Dec, 2019 at 16:35 PM
तभी अचानक से दोनों बच्चों के लड़ने और रोने की आवाजें बिल्कुल ही सुनाई देना बंद हो गई। उ
Submitted on 07 Dec, 2019 at 03:53 AM
भैया का तार पाकर हड़बड़ी में मैं जाने को तैयार हुई। कॉलेज की परीक्षाएं चालू होने की वजह स
Submitted on 04 Dec, 2019 at 16:22 PM
माधुरी आगे बढ़ी और अपने ससुर के क़दमों में झुक गई। दीनानाथ ने उसे गले से लगा लिया।
Submitted on 03 Dec, 2019 at 16:35 PM
दूसरी सौ रुपये की एक और नोट उसने टेबल पर रख दी। एक भ्रष्ट कर्मचारी के हाथों से अपना चरित्र प्रमाण पत्र लेकर वह क्राइम...
Submitted on 03 Dec, 2019 at 03:18 AM
‘छोड़ो भी अब। मेरी परेशानी कम ना हुई है। मां को बाथरूम ले जाने का समय हो गया है।’ उसके एहसास को आत्मसात करते हुए चेहरे पर...
Submitted on 01 Dec, 2019 at 08:17 AM
दोनों परिवारों में अब सिर्फ खुशियां ही खुशियां थी।
Submitted on 15 Oct, 2019 at 02:31 AM
इस उम्र में इतनी समझ तो उसे आ ही चुकी थी इन्सान के नाम की जगह बॉडी शब्द का प्रयोग उसके मरने के बाद ही किया जाता है। हाथो...
Submitted on 17 Aug, 2019 at 09:08 AM
अमन ने अपनी मन की बात कशिश को कही पर कशिश ने कहा की प्यार की राह पर चाह कर भी मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकती। डरती हूं, औ...
Submitted on 17 Aug, 2019 at 09:03 AM
नेहा ने प्रेम विवाह किया था, उसके भाई के कहे शब्द उसे याद आ रहे थे अपना काला मुंह लेकर फिर मेरे सामने आई तो मेरा मरा हुआ...
Submitted on 15 Aug, 2019 at 12:11 PM
एक विश्वास के साथ उसने उसकी आँखों को देखा और उससे लिपट गया।
Submitted on 07 Aug, 2019 at 16:02 PM
माँ के कैन्सरग्रस्त होने की खबर सुन सीमा नौकरी छोड़ना चाहती थी, आर्थिक स्थिति समझाते हुए मैंने उसे मना किया पर उसके तर्क ...
Submitted on 07 Aug, 2019 at 15:54 PM
चोरी कर भागते लड़के को भीड़ ने पकड़ा और ज़बरदस्ती उसकी मुट्ठी खुलवाई जिसमे से निकला एक टुकड़ा रोटी
Submitted on 18 Jul, 2019 at 02:39 AM
मैं परेशान हो रहा था बरसात की वजह से सारा प्लान चौपट ,वह भी परेशान हो रहा था कच्ची छत से टपकती बरसात की बूंदों को देखकर
Submitted on 10 Jul, 2019 at 02:18 AM
अस्पताल में आज भी तेरे चेहरे वही जिज्ञासा वही घबराहट थी जो परीक्षा के वक्त हुआ करती थी, पर जैसे ही नर्स ने खुशख़बरी दी व...
Submitted on 03 Jul, 2019 at 03:49 AM
अपनी शिक्षित पुत्री के इस साहसिक कदम पर माता– पिता की आंखें खुशी से छलछला आई।
Submitted on 26 Jun, 2019 at 01:22 AM
पृथ्वी और प्रलय का मानवीकरण कर लेखक ने वर्तालाप के माध्यम से पर्यावरण समस्या पर प्रकाश डाला है तथा मनुष्य पर भरोसा जताया...
Submitted on 25 Jun, 2019 at 02:56 AM
अपने पापा की तरह गरीबी में दिन नहीं गुजरना चाहता इसलिए अमेरिका चला गया पर वापस आया तो मैं पहले से भी ज्यादा ग़रीब हो गया ...
Submitted on 18 Jun, 2019 at 02:37 AM
तुम्हारी माँ ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के खोजकर्ता न्यूटन से अनुमति लिए बिना ही मुझे हवा में उछाल दिया है।
Submitted on 08 Jun, 2019 at 05:28 AM
तब ये कागज और पेन ही तो मेरी बात कहने का आसरा रह गए हैं। कम से कम ये सुन तो लेते है मुझे।
Submitted on 17 May, 2019 at 01:57 AM
हाथ से छूटकर दूर जा गिरी बोतल धीरे धीरे खाली हो रही थी। की
Submitted on 09 May, 2019 at 15:33 PM
बदलते समय के साथ आदमी ने अपनी जरूरतों को कम करना सीख लिया।
Submitted on 05 May, 2019 at 11:31 AM
परीक्षा नजदीक है तो क्या। लड़की है, पढ़ लिखकर कौन-सा तीर मार लेगी? शादी के बाद तो ससुराल ही...
Submitted on 24 Apr, 2019 at 15:23 PM
हलवे से भरा डिब्बा लेकर वह निकल पड़ी - घर के पास नई आकार ले रही रेसीडेंसी के सामने खेलते, धूल से सने नंगधड़क बच्चों के पास...
Submitted on 17 Apr, 2019 at 16:25 PM
उस दिन दोपहर को खाने के वक्त पर जब वह घर आया तो उत्तरा को अपने घर में मौजूद पाकर वह सकपका गया
Submitted on 31 Mar, 2019 at 00:56 AM
समझी, मेरी डॉक्टर बिटिया की अम्मा !’ कहते हुए उसने पत्नी की आँखों में उभर आए आँसुओं को पोंछ डाला।
Submitted on 25 Dec, 2018 at 07:48 AM