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AMAN SINHA

Romance Tragedy Fantasy

4.2  

AMAN SINHA

Romance Tragedy Fantasy

प्यार-प्यार-प्यार

प्यार-प्यार-प्यार

181 mins
522


"बचपन का प्यार"


कहते है प्रेम की कोई भाषा नहीं होती। दुनिया के हर देश में हर शहर में हर गली में प्रेम की बस एक ही भाषा है और वो है मन की भाषा। इसको समझने के लिये आपको किसी भाषा विशेष की जानकारी होना आवश्यक नहीं है। इसे कहने के लिये ना तो आपको अपने होंठ हिलाने की जरूरत है, और ना ही समझने के लिये किसी अनुवादक की आवश्यकता। ये तो चाहने वालों के हाव-भाव से ही समझ में आ जाता है। जब भी कोई दो लोग प्रेम में होते है तो ये बात उनके आस पास के लोगों से छुपी नहीं रह सकती। हाँ मगर ये मुमकिन है की उन दोनों को ये बात समझने में थोड़ा समय लग जाये। प्रेम की एक और खास बात यह है कि इसके लिये उम्र की कोई सीमा तय नहीं है। ये किसी को भी, कभी भी, कहीं भी हो सकता है। कूल मिलाकर प्रेम में पड़ने वालों के लिये उम्र, भाषा, संस्कृति, स्थान आदि कुछ भी मायने नहीं रखता।

बस एक ही बात मायने रखता है, वो यह कि जिसे हम चाहते है क्या वो भी हमें चाहता है। इस पूरे संसार में एक भी ऐसा मनुष्य मौजूद नहीं जो कभी प्रेम में ना पड़ा हो। कभी-ना-कभी कहीं-ना-कहीं किसी-ना-किसी से हरेक व्यक्ति को प्रेम जरूर हुआ होता है। कुछ का प्रेम सफल हो जाता है तो कुछ लोगों का सफल नहीं हो पाता। कुछ ऐसे होते है जो खुल कर इस विषय पर बात करते हैं और कुछ अपने ज़ज़्बात अपने अंदर ही दबा कर रखना सीख जाते है। मगर प्रेम करते तो सब है। कुछ लोग प्रेम करके शादी करते है तो कुछ लोग शादी के बाद प्रेम करते है। कुछ लोगों को शादी के बाद सच्चा प्रेम मिलता है तो कुछ को शादी के बाद सच्चा प्रेम हो जाता है। मगर प्रेम का हर रुप पवित्र होता है फिर चाहे वो किसी भी उम्र में हो किसी भी स्थान में हो किसी भी व्यक्ति से हो ये हमेशा साफ और पवित्र होता है।


 



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