AMAN SINHA

Drama Crime Thriller

4  

AMAN SINHA

Drama Crime Thriller

कलंक -भाग ३

कलंक -भाग ३

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जब तक एक आदमी के अंदर का इंसान मरा नहीं होता तब तक उसे सही गलत के बीच का फ़र्क़ समझ आता ही है। या फिर अगर ऐसा कहा जाए कि वो सही और गलत के बीच अंतर करना चाहता है, तो ज्यादा सही होगा। अभी तक की सुनवाई में जो कुछ भी सामने आया था उससे यह तो पता चला था की मामला रेप का है यानी की बलात्कार का। चुकी लड़का और लड़की दोनों ही बालिग़ है इसलिए पास्को ला को इसमें इस्तेमाल नहीं किया गया था। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि कही ना कहीं यह लड़का निर्दोष है। ऐसा अक्सर होता ही है हरेक आदमी अपनी सोच के हिसाब से या समझ के हिसाब से किसी एक पक्ष का साथ तो देता ही है। कुछ लोग होंगे जो पहले दिन से ही लडके को दोषी मानते होंगे। ऐसे लोगों में उस लडके के अपने रिश्तेदार भी होंगे जिन्होंने बिना कुछ सोचे समझे ही उस लडके को दोषी करार दे दिया होगा । वो तो आस पास के लोगों के अलावा दूर के रिश्तेदारों को भी यह समाचार सुनाकर अद्भुद शान्ति की अनुभूती कर रहे होंगे। जबकि दूसरे तरफ कुछ ऐसे भी लोग होंगे जो सभी सुबूत लडके के खिलाफ होने पर भी उसके निर्दोष होने की बात सोच रहे होंगे। फिर चाहे लडके ने अपने किये को मान भी लिया हो तो भी उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। कहने का मतलब बस इतना ही है कि लोग किसी एक पक्ष के तरफ हो ही जाते है।

अभी तक मैंने भी अपना पक्ष चुन ही लिया था। मैं लडके को निर्दोष मान रहा था। नहीं ना तो सुबूतों के बल पर और ना ही उसके मासूम चहरे से प्रभावित होकर मगर ना जाने क्यों वो एक क्षण मेरे ज़हन से भुलाये नहीं भूल रहा था जब उन दोनों ने कटघड़े में खड़े-खड़े एक दूसरे को देखा था, कहा कुछ नहीं मगर मगर कई सवाल खड़े कर दिए थे।  

पोलिस की फाईल पढ़कर मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की जैसे पोलिस ने जल्दबाज़ी में कई मुद्दों पर गौर नहीं किया था। अदालत में किसी भी मुक़द्दमे को ले जाने से पहले पोलिस कि जो तात्कालिक कार्रवाही होती है उसमे मुझे कई खामियां समझ में आ रही थी। मैंने कई बिंदु बनाये थे जिसपर पोलिस का ध्यान ही नहीं गया था। कम से कम प्राथिमिकी पर गौर करते हुए जांच के नतीजे तो यही बता रहे थे। मगर मेरा काम पुलिस को सलाह करना नही था। हमारे पेशे में सबसे पहले यही सिखाया जाता है की अपनी छान बीन को पुलिस कि आंखों से हमेशा ही बचा कर रखना चाहिए। कम से कम तबतक जबतक कि उनके और आपके रास्ते आपस में कटे नहीं। इसी तरह ही तो हम पुलिस कि कमियों को उजागर कर पाएंगे और अपने समाचार पत्र या चैनल को सबस आगे रख पाएंगे। मैंने भी यही सोचा था कि मैं अपनी जाँच अपने हिसाब से करूंगा और किसी से कुछ भी नहीं बताऊंगा। जो रिपोर्ट मेरे हाथ में थी उसमे कोई भी दो बाते एक दूसरे से सीधे सीधे जुडी हुई जान नहीं पड़ती थी। किन्ही भी दो घटनाओ का या तथ्यों का आपस में कोई भी सम्बन्ध भी नहीं बैठ रहा था। फिर गवाही के दौरान वो दोनों लड़की और वो लड़का भी एक दूसरे कि बातो से इतना ज्यादा इत्तेफ़ाक़ दिखा रहे थे की बात मेरे गले से उतर नहीं रही थी। मन में अजीब सी हलचल से हो रही थी। बस यही लग रहा था कि इस मामले के ऊपरी परत के अंदर कुछ और भी छुपा हुआ है जिसे सामने आने ही नहीं दिया जा रहा। और मुझे यही बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही थी। पता नहीं ऐसा क्यों हो रहा था मगर मुझे यह मामला चैन से सोने नहीं दे रहा था।   

मैंने अपनी छान बीन शुरू कर दी। और शुरुआत भी वही से की जहां से मुझे लग रहा था कि पुलिस ने लापरवाही कि है। सबसे पहले मैंने दोनों ही पक्षों के मुख्य पात्र कि घटना से पहले के जीवन के बारे में जानकारी जुटाने लगा। शुरुआत उस दिन से कि जिस दिन कि यह घटना थी। उस दिन वो लड़का कहाँ था?, क्या कर रहा था?, उस दिन वो दोनों कहाँ मिले थे?, पुरे दिन क्या किया था? आदि इत्यादी। इसके बाद मैं एक एक दिन करके पीछे जाना चाहता था। मगर इतना सबकुछ करने के लिए मेरे पास समय ही नहीं था। मगर करना भी था नहीं तो मेरी कहानी अधूरी ही रह जाने वाली थी। तो चलिए मैं आपको उस दिन में लिए जाता हूँ जिस दिन की यह घटना है। तारीख २२ सितम्बर २०१५, दिन मंगल वार, समय सुबह के पांच बजे। लड़का अपने कमरे सोया हुआ था। उसके फोन की घंटी बजती है और दूसरी तरफ से उसके दोस्त की आवाज़ आती है, भाई भूल गया क्या? आज तो हमारे कालेज से कैम्पिंग के लिए जाना है। सभी तेरा इंतज़ार कर रहे है। चल जाग जा और निचे उतर। अपने सभी सामान के साथ आना। अगर ब्रश नहीं किया है तो रास्ते में कर लेना। बाकी नाश्ते का इंतज़ाम हमने कर लिया है । तू बस अपना सामान लेते आना। लड़का जगता है और पहले से तैयार अपने बैग को कंधे पर लादे हुए सीधे बाहर की निकल जाता है। उसे सोते हुए याद ही नही रहा की आज उसे अपने कालेज के कैम्प के लिए जाना है। अपने दोस्तों के साथ वो दोपहर तक कैम्प के स्थान पर पहुँच जाता है। इसके बाद पुरे दिन वही रहता है। बल्कि वो वहाँ से तीन दिनों के बाद लौटता है। जबकि पुलिस के रिपोर्ट के अनुसार उस दिन लड़का पुरे समय उस लड़की के साथ था। तो एक ही समय पर एक आदमी का दो अलग अलग स्थानों पर होना कैसे संभव हो सकता है ?


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