Rahim khan KHAN

Drama

3.9  

Rahim khan KHAN

Drama

शहजादा मारक्कस

शहजादा मारक्कस

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बात योरोप के उस जमाने की है जब वहां रोमन चर्च का दबदबा है , यहूदियों व ईसाइयोंं में नस्ली संघर्ष का दौर है, यहूदियों को योरोप से बेदखल किया जा रहा है, बचे खुचे यहुदी जिल्लत की हालात में रह रहे हैं।

रोमन साम्राज्य अपने उरूज़ पे है।

मकदूनिया(मेसेडोनिया) रोमन साम्राज्य का मरकज़ बना हुआ है। सीजर का राज है, ब्रूटस उसका जनरल है। समय के साथ महत्वाकांक्षी ब्रूूटस की ताकत बढती 

गई, सीजर कमजोर होने लगा। समय ने करवट ली  , ब्रूटस ने सीजर का कत्ल कर, मकदूनिया पे काबिज हो गया। ब्रूटस निहायत ही क्रूर, विलासी एवं नस्ल परस्त शासक है। ब्रूटस की सरकार ने यहूदियों के लिए जम़ीन और तंग कर दी।

कारोबार की मजबूरी से कुछ यहूदी मकदूनिया में रहने को मजबूर है। शहर का माहौल यहूदियों के लिए माकूल नहीं था।

अज़रा एक यहूदी जौहरी है जो मकदूनिया मेेंं 

तिजारत करता है।मुख्य बाजार मे उसका दो मंजिला मकान है, नीचे दुकान है, ऊपरी मंजिल में अज़रा, उसका नौकर मैन्यूअल और उसकी छोटी सी पुत्री  ईलिया रहते हैं।

मकदूनिया शहर ब्रूटस की विलासता व एसोआराम की रंंगत में रंगा है। ब्रूटस के एक आदेश से शहर मेें हड़कंंप मच जाए।

बंसत का नया नया सबेरा हुआ है, ठण्डी हवाएं मकदूनिया की ऊंची उंची इमारतों को आनंदित कर रही होती हैं। शहर का बाजार खुल चुका है।शहर चहल पहल की रफ्तार ले चुका है।इसी दौरान एलान होता है कि बाजार बंद किया जाए, रास्ता खोला जाए, ताकि ब्रूटस की निकल रही सवारी को कोई परेशानी ना हो।बस फिर क्या था आननफानन में बाजार बंद होने लगा, सिपाहियों ने गस्त बढ़ा दी, शहर का मुख्य रास्ता विरान होने लगा।

ब्रूटस बग्गी पर सवार है आगे पीछे भारीभरकम सुरक्षा का इंतजाम है, मुख्य बाजार से गुजर रहा है। सारा शहर खामौश है, खिड़कियों से लोग ब्रूटस की सवारी को देख रहे हैं। सवारी का काफिला उसी मकान के आगे से गुजर रहा है जिसमें अज़रा का परिवार रहता है।

काफिला तख्त की मदहौशी से गुजर रहा है, अचानक किसी ऊपरी मंजिल से एक पत्थर नीचे की और आता है और सीधा बग्गी पर सवार ब्रूटस के सर पर लगता है।

सुरक्षा अमले की ज़मीन खिसक जाती है, बहुत बड़ी गुस्ताखी हो चुकी है।अफरातफरी व भय का माहौल बन जाता है। ब्रूटस गुस्से में लाल हो जाता है। पत्थर मारने वाले की तलाश का हुकम होता है, शक यहूदियों पे जाता है, जिधर से पत्थर आया था उधर घेराबंदी हो गई।किसी ने देखा था वह आगे आए, बताया गया की फलां खिड़की से एक लड़की ने यह किया है।उस घर को घेर लिया गया। अज़रा के घर मे कहर छा गया, बच्ची की हरकत मुसीबत का पहाड़ बन गई। घर घेर लिया गया, सिपाही अंदर घुस आए, बुढ़ा अज़रा खूब गिड़गिड़ाया, लेकिन बच्ची को सिपाहियों ने तुरंत झपट लिया। अज़रा रहम की भीख मांगता रहा, बच्ची को फोरन ब्रूटस के सामने पेश किया गया। 

ब्रूटस के दिल में यहूदियों की नफरत जाग उठी, पिता की मजबूर नजरों के आगे उस बच्ची का कत्ल कर दिया गया।ब्रूटस अपने गुस्से की आग बुझा आगे बढ़ गया।अज़रा टूट गया, व्याकुल होकर रह गया।अज़र का दुख मैन्यूअल (अज़रा का वफादार नौकर) से देखा नहीं जा रहा, मैन्यूअल एक हष्टपुष्ट नवजवान है।उसके मन में ब्रूटस से बदले की आग धधक उठती है। वह इस बदले के लिए मन में मनसूबे बनाने लगाता है। 

राजमहल में ब्रूटस की छोटी बच्ची झूले में सोई है, हर कोई अपनी ड्यूटी में लगा है, सिपाहियों से लेकर राजरानियों तक अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त हैं।

मैन्यूअल बहुत चतुर है, उसकी मनसूबा बंदी गजब की है। अभी अभी शाम ढली है, अंधेरा छाया है, मैन्युअल सभी को चकमा देकर राजमहल में घुस्ता है, झूले में लिबिया को ले कर निकल जाता है। मैन्यूूूअल बड़ी कास्तानी से बच्ची को लेकर अज़रा केे घर पहूंचता है। मैन्युअल के सीने में ईलिया की मौत  के बदलेे की आग धधक  रही है, वह खंजर निकाल कर अज़रा को देता है और कहता है कि इसेे ( ब्रूटस की बैटी) मार कर बदल ले।अज़रा बहुत नेक व रहम दिल आदमी है, वह मैन्युुुअल को पहले फटकारता है फिर उस बच्ची पर रहम करने को कहता है।इसके साथ ही अज़रा के मन में अजीब  ख्याल आता है, वह फटाफट उस लड़की को ले कर शहर छोड़ कर कहींं गायब हो गया।  

 उधर राजमहल में हड़कंप मच जाता है, शहर का कौना कौना छान दिया जाता है लेकिन बच्ची का कहीं अता पता तक ल नहींं लगता है। शहर में यहूदियों के घर जला दिए, कत्लोगारत मच गई। अज़रा के घर पर मैन्युअल को भी मार दिया जाता है।

ब्रूटस ने पूरा जोर लगा दिया, लेकिन उसे अपनी बैटी नहीं मिली। धीरे धीरे वक्त गुजरा, जिंदगी मामूल हुई, सब कुछ पसमंज़र में जाता रहा, मकदूनिया ने सब कुछ भुला दिया।

उधर अज़रा ने माशूम को सीने से लगाया और नामालूम जगह जा कर बस गया। बच्ची नासमझ थी, अज़रा ने उसे पिता का प्यार दिया। बड़े लाड प्यार से पाला।  । हन्ना को बस यही मालूूम था कि वह अज़रा की बैटी है। बाकि सब राज था, जिसे सिर्फ अज़रा ही जानता था। अज़रा ने नए सिरे से अपना कारोबार शुरू किया, जीवन चलता रहा, हन्ना बड़ी होती गई। हन्ना जवान हुई, हुस्न जलवानुमा हुआ।

मकदूनिया का सम्राट ब्रूटस उमरदराज हुआ, उसका शहजादा मारक्कस जवानी के मद में है। अभी उसे राज काज से कोई मतलब नहींं है।

राजा को शहजादे की सादी व अपनी ढलती उम्र की फिक्र होने लगती है।

लेकिन शहजादा अपनी मस्ति में मस्त है, राग रंग ,शराब, व शिकार में मस्त है। शहजादा कई दिनों के लिए शिकार पर काफिले लेकर निकल जाता है।

सिंकदंरिया की तरफ जाने वाली सेहराह पर एक छोटा सा गांव बसा है , चारों तरफ घना जंगल है। 

शाम का समय था शहजादा मारक्कस काफिले के साथ शिकार से लौट रहा है। काफिला राह भटक जाता है, काफिला एक अंजान गांव में पहुंच जाता है। काफिले को पानी दरकार था , उन्होंने गांव के एक घर पे दस्तक दी। घर से एक नवजवान लड़की ने उन्हें पानी पिलाया, लड़की का हुस्न शहजादे को कायल कर गया, शहजादा की नजरें बहक गई, उसने पूछा यह घर किसका है लड़की ने कहा हम यहूदी है, अज़रा मेरे पिता का नाम है।शहजादे का दिल तो वहीं कैद रह गया, जिस्म अपने शहर को लौट चला। 

मारक्कस का मन बैचेन है, रात दिन उसी के (हन्ना) ख्यालों ख्वाब में रहने लग अंटेनियो  मारक्स का वफादार नौकर है, शहजादे की बैचेनी उसे समझ नहींं आ रही है, वह इस राज को समझने की कोशिश कर रहा है। मारक्कस ने अंटेनियो से मदद के नाते अपना हाल सुनाया, अंटेनियो व शहजादे के बीच सब कुछ गुप्त मनशूबा बना।शहजादे मारक्कस ने यहुदी का लिबास पहना, अपना हुलिया बदला और उसी तरफ निकल पड़ा जिधर हन्ना का गांव था।

गांव में जा कर तिजारत के बहाने वह हन्ना से नजदीकी की कोशिशें करने लगा। धीरे धीरे वह हन्ना के पिता अज़रा के संम्पर्क में आया , उसने अपने आपको सिंकदरिया का यहूदी बताया, नाम बताय मर्शिया ।

अब मर्शिया ( मारक्कस) रोज भैस बदल कर गुप्त रूप से राजमहल से निकल जाता और हन्ना से जा मिलता।हन्ना व मर्शिया में नजदीकियां बढऩे लगी, जवानी का प्यार परवाना चढ़ने मेंं देर नहीं करता, मर्शिया और हन्ना में इश्क हो गया।अज़रा को भी हन्ना के लिए एक नवजवान वर चाहिए था इसलिए मर्शिया और हन्ना के इश्क को अज़रा ने भी हरी झंडी दे दी।बस फिर क्या था प्यार परवान चढ़ा, वादे कसमें और साथ साथ जीने मरने की बाते होने लगी। समय गुजरता गया, मर्शिया का आना जाना चलता रहा।मर्शिया भी अपना राज छुपता रहा कि वह शहजादा मारक्कस है, यहुदी नहीं, बल्कि रोमन है और अज़रा भी हन्ना का राज छुपाता रहा जो की वास्तव में ब्रूटस की बैटी लिबिया थी।

ब्रूटस शहजादे की सादी करना चाहता है, शहओटिविया  ब्रूटस के चाचा की लड़की है, वह मारक्कस को खूब चाहती है, ब्रूूूटस भी चाहताा हैै कि मारक्कस की सादी ओटिविया से हो जाए। धीरे धीरे राज परिवार मारक्कस और ओटिविया की सादी की तरफ बढ़ते हैं लेकिन शहजादा मारक्कस इस से खफा है। शहजादे का यह रुख किसी की समझ से परे था। राज परिवार व ओटिविया उसे मनाने के प्रयास में हैं।

उधर अज़रा ने हन्ना व मर्शिया के भविष्य का ख्याल किया और सादी की सोचने लगता है। एक दिन हन्ना मर्शिया को यहूदियों की इबादतगाह ले जाती है वहा कुछ धार्मिक अनुष्ठान होने हैं जिसमें हन्ना व मर्शिया भी भाग लेते हैं।वहां मर्शिया कुछ असहजता महसूस करता है, हन्ना को मर्शिया का व्यवहार अजीब सा लगा, उसके मन में मर्शिया के यहूदी होने में शक पैदा हो जाता है।हन्ना ने मर्शिया को अपना शक जाहिर कर कर दिया, मर्शिया ने लाख कोशिशें की लेकिन आखिर उसे अपनी असलियत बतानी पड़ी।अज़रा और हन्ना को जैसे ही यह पता चला कि मर्शिया यहूदी नहीं बल्कि रोमन है, रोमनों के प्रति उनकी नफरत जाग उठी, मर्शिया को मक्कार एवं धोकेबाज रोमन कह कर भगा दिया जाता है।मर्शिया मायूस होकर चला जाता है।हन्ना व अज़रा के मन में मर्शिया जो मारक्कस ही था से बदले की आग धधक उठी।

मारक्कस जो कि मर्शिया के रूप में हन्ना से मोहब्बत कर रहा था, अभी भी हन्ना को चाहता है, उसके मन में अभी भी हन्ना है। हन्ना के प्यार में मारक्कस ने अपने आपको मजनूँ बना दिया, न खान -पिना, न किसी से मिलना जुलना, एकांत व उदासी का जीवन जीने लगा।ब्रूटस व ओटिविया मारक्कस को मनाने में लगे रहे।मकदूनिया के ताज का वारिश मारक्कस है लेकिन उसे राज ताज का कोई ख्याल नहीं। ब्रूटस व लोगों को मकदूनिया के भविष्य की चिंता होने लगी। मारक्कस को सुधारने के लिए तरकीबें होने लगी।

मारक्कस ने अपने आपको मरीजेइश्क बना दिया, उसने सादी (ओटिविया से) इनकार कर दिया, अपने आपको मिटाने पर तुल गया।

मारक्कस के प्यार के इस को राज सिर्फ अंटेनियो ( मारक्कस का नौकर) ही जानता था और कोई नहीं।

मारक्कस पर दबाव पड़ा, खानदान ने अपना असर अस्तेमाल किया और मारक्कस को ओटिविया से सादी के लिए मजबूर कर दिया।

 मारक्कस व ओटिविया की सादी की तैयारिय हुई, जश्न का माहौल बना। शहजादे की सादी की महफिल सज गई, दावत ए आमा का इंतजाम हो जाता है।दरबार सजता है, जनता का जमावड़ा लगता है। शाही मेहमान विराजमान होते हैं महफिल का रंग चढ़ने लगता है।संगीत व नाच गान होता हो रहा होता है, महफिल में ब्रूटस, ओटिविया, मारक्कस व सभी आला दरबारी मौजूद हैं। जैसे ही शहजादे मारक्कस व ओटिविया की सादी का एलान होता है, अचानक पंडाल से एक लड़की चिल्ला कर न्याय मांगती है। सभी का ध्यान उस ओर जाता है , भरी सभा में एक नवजवान लड़की (हन्ना) शहजादे मारक्कस पर अपनी असमत व धोखा देने का इलजाम लागा कर ब्रूटस से न्याय मांगती है। दरबार में हड़कंप मच गया, रंग में भंग हो गया, ब्रूटस न्याय के लिए बहुत कठोर था, उसने कानून के हाथ खोल दिए, शहजादे को अपनी सफाई का मौका दिया गया, भरी सभा में शहजादे मारक्कस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया।गुत्थी उलझ पड़ी, शहजादे का एक यहूदी की आम लड़की से ऐसा संबंध रखना काबिले माफ न था। न्याय का मिजान अमल में आया, मारक्कस को सजाए मौत का हुकम हुआ।सब कुछ बदल गया, सादी के सामीयाने उठ गए, सब कुछ एक दास्तान बनने लगा।अगले रविवार को शहजादे मारक्कस को सजा देना मुकर्रर हो गया, अभी छ दिन बीच में है। ओटिविया और अंटेनियो दोनो दुखी है, ओटिविया को मामला कुछ समझ नहीं आता है, ये सारा राज सिर्फ़ अंटेनियो को ही आज तक मालूम था।मारक्कस को बचाने के लिए अंटेनियो कोशिशें करता है। अंटेनियो हन्ना के पास पहुंचता है। उसे समझाता है मारक्कस को मजबूरन ऐसा करना पड़ा।वह तुम्हें बहुत चाहता है, तेरे प्यार में वह कैसे दिन गुजरा करता है, वह तो पहले ही मर चुका है।वह तुम्हारा दीवाना है, अपने दीवाने का कत्ल मत करो। अंटेनियो की कोशिशें कामयाब होती है, हन्ना के मन में मारक्कस की मोहब्बत जिसे बदले के क्रोध ने कुचल दिया था, जाग जाती है, वह अंटेनियो से वादा करती है कि वह मारक्कस को बचा लेगी।

अगला रविवार आते देर नहीं लगी, शहजादे की सजा का दरबार सजा, एक ऐतिहासिक घटना होने जा रही थी, मारक्कस को पेश किया गया, दरबान ने उसे उसके जुर्म का हवाला पेश किया उसने बुलंद आवाज में अपना जुर्म कबूल कर लिया। तभी पंडाल से वही लड़की चिल्ला कर सामने आ गई। बोली -" नहीं नहीं शहजाद बेकसूर है, मैने पहचानने में गलती की है। वो तो सिंकदरिया का मर्शिया था।" हर कोई हेरान था, एक तरफ मारक्कस था जो अभी भी अपने आप को मुजरिम बन कर पेश कर रहा है, दूसरी तरफ इलजाम लगाने वाली पलट कर उसे बेगुनाह बता रही है।

सारा मामला ब्रूटस तक पहुंचां, न्याय के आला अमले ने मामले को संभाला, तपसीसें हुई और फैसला उलट गया, शहजादे को बेगुनाह करार दिया गया और इलजाम लगाने वाली लड़की को गिरफ्तार कर लिया गया।

शहर की खुशियाँ लौट आई, ओटिविया की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था।अंटेनियो जहां एक तरफ शहजादे को बचाने की कामयाबी पर खुश था वहींं हन्ना की गिरफ्तारी पर दुखी भी था।

मारक्कस ओटिविया से सादी से इनकार कर देता है, विवाद बढ़ जाता है, शहजादा बगावत पे आ गया, राजतंत्र की परम्परा अमल में आई, शहजादे को गिरफ्तार कर लिया गया।

बूढ़े अज़रा पर मुश्किलें घिर आती है। फैसला होता है, हन्ना को सजाए मौत सुनाई जाती है। 

हन्ना की सजा का दरबार सज गया, आज उसका सर कलम किया जाना है, ब्रूटस बहुत खफा है, एक यहूदी की लड़की ने रोमन इज्ज़त व आबरू को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। ब्रूटस खुद तलवार ले कर दरबार में पहूंचता है, हन्ना का हस्र होना तय है।

दरबान हन्ना को उसका जुर्म सुनाता है, हन्ना जुर्म को कबूल कर लेती है, ब्रूटस तलवार लेकर हन्ना की तरफ बढ़ता है, तभी भीड़ से एक बुजुर्ग चिल्ला कर मंजर पर आता है, ब्रूटस रुक जाता है, बुजुर्ग (अज़रा) ने कहा -" ऐ जालिम ,बेरहम ये मेरी बच्ची है, याद कर एक तेरी भी बच्ची थी, याद है -लिबिया। " 

ब्रूटस चोंक जाता है, उसका पितृत्व जाग जाता है। वह चिल्लाता है -" हाँँ हाँँ, मेरी लिबिया ! तुझे कैसे पता ! बता बता वो कहां है, क्या वह अभी भी जिंदा है ? "

चारों तरफ सन्नाटा छा जाता है।

अज़रा का हौंसला बढ़ता है, वह कहता है -" हाँँ मुझे सब मालूम है, लिबिया कहां है, मैं हन्ना की मौत का बदला उससे लूँँगा, बैरहम।"

सब कुछ ठंडा पड़ जाता है, लहरती तलवार म्यान में चली जाती है।

 ब्रूटस का भूला पुत्रीमोह उसे व्याकूल कर देता है। वह गिड़गिड़ाने लगता है - "नहीं नहीं, मैं उसे माफ कर दूंगा, मुझे मेरी लिबिया लौटा दे "। 

हन्ना ही लिबिया है, यह बात सिवाय अज़रा के किसी को मालूम नहीं थी।

अज़रा गरज कर कहता है -" बेरहम ,याद कर तूने मेरे जि़गर के टुकड़े को नोंच कर मरवा दिया था ( वह उसे ईलिया के मारने का याद दिलाता है), हाँ तेरी लिबिया को मैं ही ले गया था, लेकिन मैं तेरी तरह खूंखार दरिंदा नहीं बना। तेरी नस्लपरस्ती की नफरत ने तुझे जानवर बना दिया, मेरे मजहब ने मुझे इंसानियत का पाठ पढाया है,मैने बदले की खातिर लिबिया का खून नहीं किया, मैने उसे अपनी ईलिया मान कर पाला, उसे पिता की कभी कमी नहीं महसूस होने दी।

जिसे तूंं आज यहूदी की लड़की मान कत्ल करने जा रहा है, यही हन्ना, तेरी ही लिबिया है। "

ब्रूटस को अपनी क्रूरता पर ग्लानि महसूस होती है साथ ही अज़रा की इंसानियत उसे झकझोर देती है, वह अज़रा व हन्ना को गले लगा लेता है।

सारा मंजर बदल पड़ता है,  पहली नए सिरे से सुलझने लगती है। 

उधर मारक्कस कैद में है, उसे अंटेनियो ने बताया की आज हन्ना का सर कलम हो जाएगा, मारक्कस को अपने किये पर बहुत दुख होता है। उधर दरबार में हन्ना को मारने का मंजर सजता रहा, इधर मारक्कस ने जलती मशाल ले कर अपने को आग के हवाले कर, अपनी दीवानगी के खातिर मिट गया।

ब्रूटस हन्ना व अज़रा को लेकर शहजादे मारक्कस की तरफ जाता है, लेकिन वहां सब कुछ बीत चुका था, मारक्कस अपने को मिटा चुका था। 

 मारक्कस मोहबत के इस दास्तान में हमेशा के लिए अमर हो गया।

मारक्कस की अमर कहानी कई साहित्यकारों ने अपने अपने अंदाज में बयान की है।  

हिंदी भाषियों के लिए मेरी यह एक मामूली सी कोशिश है।


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