संवेदनहीनता
संवेदनहीनता
अभी अस्पताल में हुई एक दुर्घटना से मन व्यथित था कि दूसरी घटना सुन ली। वहॉं हुई घोर लापरवाही से एक मरीज़ की मृत्यु हो गई। सुनकर मन व्यथित हो गया। जिन्हें धरती का भगवान कहा जाता है उन चिकित्सक लोगों की क्या दशा हो गई है कि मरीज़ की जान से खेल जाते हैं। और उन्हें कोई पछतावा भी नहीं होता, कोई फ़र्क भी नहीं पड़ता। मेडिकल प्रोफ़ेशन सेवा का प्रोफ़ेशन न होकर पैसा कमाने का धंधा बन गया। अस्पताल में ICU का क्या हाल है किसी को पता भी नहीं चल पाता।
एक मरीज़ अस्पताल के ICU वार्ड में भर्ती था। उसको खाना खिलाने के लिए राइस ट्यूब लगी हुई थी। उसी से तरल पदार्थ खाने के लिए दिया जाता था। एक परिचारक उसे खाना देने आया तो उसने गलती से या असावधानी से खाने की नली के बजाय साँस की नली में खाना डाल दिया। इस घोर असावधानी के कारण मरीज़ की तत्क्षण मृत्यु हो गई। अब कोई भी अपनी गलती या लापरवाही को प्रकट नहीं करता। उसकी मृत्यु का कुछ भी कारण बताकर केस को रफ़ा दफ़ा कर दिया गया। पर वास्तविकता छिप नहीं पाती किसी न किसी तरह प्रकट हो ही जाती है।
जिसने इतनी घोर उदासीनता और लापरवाही काम करने में दिखाई उसे दंड मिल पाए या नहीं, पर जिसकी मृत्यु हो गयी है उसको तो वापस नहीं लाया जा सकता न उसके परिवार के क्षतिपूर्ति किसी तरह हो सकती है। इस घटना की कल्पना कर ही मन कॉंप पड़ता है, जिसने इसे भुगता है उसका क्या हाल हुआ होगा, अपनी वेदना वह कह भी नहीं सका।