मिस्टर सिंघानिया की मौत के सात दिन बाद आज माधवी ने खुली हवा में सांस ली थी।
तुम जो चाहते हो कि मै घर में तुम्हारे हिसाब से चलू तो अब ये हम से न हो पायेगा।
वो आते ही सीधा अपने कमरे में गया और रोने लगा ।
नारियल को बहुत गर्व था वह ठोस है।
एक पैर में चलाना सीखगयी थी पर दो पैर लगा के साईकेल नहीं चढ पाती थी ।
जीवन में सुख-दुख का आना जाना लगा रहता है फिर भी जीवन हमारा यूं ही निरंतर चलता रहता है!