हृदयहीनता
हृदयहीनता


गाँव देहात का ग़रीब आदमी। गॉंव में कोई अस्पताल नहीं। बीमारी में दूर के शहर पहुँचा इलाज कराने। वहाँ एक प्राइवेट अस्पताल में पहुँचा जहाँ उसे CT स्कैन कराने के लिए कहा गया। उसने फ़ीस जमा करी, CT स्कैन के लिए उसको ले गए ,पर मशीन ठीक नहीं थी ,इसलिए ठीक से रिपोर्ट नहीं आयी। कहा गया दुबारा CT स्कैन होगा, अब उसको कल आना होगा क्योंकि आज मशीन ठीक नहीं है, और फ़ीस भी फिर से जमा करानी होगी। वह ग़रीब आदमी, शाम के समय कहॉं जाए, गॉंव भी दूर था। जाकर कल सुबह तक लौटना संभव नहीं था। उसने अस्पताल में रुकने की जगह माँगी पर उसे मना कर दिया गया। वह परेशानी में पड़ गया कहाँ जाए।
अस्पताल की रेजीडेंट डॉक्टर अनीशा ने उसकी परेशानी समझी और कोशिश करी कि उसे अस्पताल में रात बिताने की जगह मिल जाए। उसने सोचा कि जनरल वार्ड में एक दो बेड ख़ाली हैं वहाँ वह रात भर रह सकता था। पर उसके प्रयास से भी कुछ नह
ीं हुआ।
फ़ैकल्टी और मैनेजमेंट ने साफ़ मना कर दिया कि उसे अस्पताल में जगह नहीं मिल सकती और उसे कल सुबह आना होगा। कोई चारा नहीं था। गाँव वह लौट नहीं सकता था।
अनीशा ने उससे बात करी और कहा कि वह अपने किसी परिचित के यहाँ ठहर जाए। पर उसका कोई परिचित भी शहर में नहीं था। मरता क्या न करता, वह अस्पताल के बाहर ही कड़कती ठण्ड में बैठा रहा, खुले आसमान के नीचे। रात बिताने भर की भी जगह उसे अस्पताल नहीं दे सका।
अस्पताल के बाहर इसी तरह लाचार लोग बैठे रहते हैं और उनकी भीड़ लगी रहती है, पर कोई उन्हें देखने वाला या उनका दुख सुख पूछने वाला नहीं है। वे भगवान भरोसे इलाज के लिए बैठे रहते हैं। उन्हें बिना किसी क़सूर के जाड़े की रात खुले आसमान के नीचे बितानी पड़ती है। जब कि गलती उसकी नहीं थी, मशीन अस्पताल की ख़राब हुई थी, पर सजा उसे भुगतनी पड़ी।