chandraprabha kumar

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सीन से सियुस के किनारे

सीन से सियुस के किनारे

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     सीन नदी की सुन्दर दृश्यावलि पेरिस में देखी थी , वहाँ से सियुस अर्थात् स्विट्ज़रलैंड जाने का जून महीने में हमारा प्रोग्राम बना। हमने रात्रि की ट्रेन पकड़ी और ल्यूसर्न में माउण्ट पिलाटेस के समीप के एक होटल में रुक गये।यहाँ पिलाटेस पर्वतीय पुंजक अर्थात् गिरिपिंड है , यह कई चोटियों से बना है। मध्य योरेप में स्विट्ज़रलैंड पहाड़ों का देश है। यहाँ की साठ प्रतिशत भूमि आल्पस पहाड़ों से ढकी हुई है। यहॉं पर एक तरफ़ सुन्दर ग्लेशियर हैं, जो साल में आठ महीने बर्फ़ की सुंदर चादर से ढके रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ़ सुंदर वादियां है जो सुंदर फूलों और रंगीन पत्तियों वाले वाले पेड़ों से ढकी रहती हैं। कई नयनाभिराम दृश्य देखने को मिलते हैं।

     ल्यूसर्न यहाँ का मुख्य पर्यटन स्थल है। स्विट्ज़रलैंड अपने पहाड़ों , घड़ियों और भोजन विशेषकर पनीर और चॉकलेट के लिए प्रसिद्ध है।पिलाटेस जिसे अक्सर माउण्ट पिलाटेस के रूप में भी जाना जाता है, सेन्ट्रल स्विट्ज़रलैंड में लेक ल्यूसर्न के ऊपर स्थित एक ऊँची पर्वत चोटी है। यह मध्य स्विट्ज़रलैंड में कई झीलों और शानदार पर्वत दृश्यों के लिये लोकप्रिय है। प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर जगह है। यदि आसमान साफ़ हो तो आल्प्स की बहुत सी चोटियॉं दिखाई पड़ती हैं। 

       होटल में रात्रि भोजन एवं विश्राम करके सुबह बस लेकर हम पिलाटेस पहुँचे। वहीं से रोपवे केबल कार में बैठकर माउण्ट पिलाटस के ऊपर गये, जो 2073 मीटर ऊँचा है। केबल कार से ल्यूसर्न झील व ल्यूसर्न शहर का अच्छा अनूठा परिदृश्य दिखाई दिया। माउंट पिलाटेस की चोटी पर पहुँचकर हम वहाँ के सौन्दर्य से अभिभूत हो गये।

         पूरी दोपहरी हमने माउण्ट पिलाटेस पर बिताई। अनोखी, भावमयी, प्राणमयी प्रकृति का शान्त वातावरण । पहाड़ों के इतने नज़दीक ! पहाड़ों पर ललचाते बर्फ़ के इतने नज़दीक ! यह सामने फैले पहाड़ को वलयाकार घेरे झील।नीचे कोहरे से ढका धुंधला विस्तार। उसमें उभर रही हैं वृक्ष पाँति ,गहरे हरे रंग की कालिमा नीलिमा का आभास लिए। उसके बाद यहाँ से छोटे छोटे गुड़िया घर से लगते मकानों का विस्तार। घास के लंबे लंबे मैदान। सब कुछ इतना घुल मिल गया है कि मन प्राण भर उठे हैं। कैसे बांध लूँ इस दृश्य को ?

   कैमरा सभी फ़ोटो नहीं ले सकता। चित्रकार की तूलिका यहॉं फीकी है। मेरे शब्दों की सामर्थ्य यहाँ चुक गई है। मौन रहकर ही इस असीम सौन्दर्य का आनन्द लिया जा सकता है।बर्फ़ीली चोटियाँ ,कोहरा, बादल,हवा ,वृक्ष,मैदान, बस्ती सब कुछ इतना सुंदर हो सकते हैं यह पहली बार जाना। सौंदर्य को मुग्ध हो मेरी आँखें पी लेना चाहती हैं। जिन्होंने इस सौंदर्य को नहीं देखा, उन्हें कैसे बताया जा सकता है। यह देखने और अनुभव करने की चीज है। 

   दोपहर तक यहॉं की विस्मयकारी और अविश्वसनीय भव्यता और सुन्दरता से आप्यायित हो हम मैगनेटिक ट्रेन से पिलाटेस पर्वत की दूसरी ओर से पर्वत की परिक्रमा सी करते हुए नीचे उतर आये। बर्फ़ के बीच से हमारी ट्रेन चली जा रही थी।ट्रेन नीचे उतरते समय फिसले नहीं, इसके लिए ट्रेन के नीचे कॉंटे से लगाकर उचित व्यवस्था की गई थी ।यहॉं का सारा दृश्य बहुत लुभावना और रमणीय था। इतने नज़दीक से पहाड़ों और बर्फ़ को देखने का यह अद्भुत अनुभव था।

   नीचे आकर हमने स्टीमर लिया और ल्यूसर्न झील में स्टीमर से सैर करते हुए हम ल्यूसर्न शहर की ओर आ गये। सारा ल्यूसर्न शहर बहुत साफ़- सुथरा था। सड़कों पर कहीं भी गन्दगी का नामोनिशान नहीं था। यहॉं फलवाले और सब्जीवाले ज़मीन पर ही कपड़ा बिछाकर अपना सामान लगाये हुए थे। शहर की ख़ूबसूरती देखते हुए हम होटल वापिस आ गये । 

      अपना स्विट्ज़रलैंड का यह मनोहारी ट्रिप हमारी यादों में बस गया।यहाँ से आगे हमें रोम पहुँचना था। यूरोप घूमने का हमारा सपना बहुत दिनों से था। 

  


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