इन्तज़ार
इन्तज़ार


आज कल बुजुर्गों के प्रति उपेक्षा की मनोस्थिति कमोबेश सब जगह है। इससे सम्बंधित एक लघु कथा है। एक आदमी के पास दस कमरों का बड़ा घर था। उसने तीन कमरे अपने लिए रखकर बाक़ी कमरे किराये पर दे दिये। एक कमरे में वह स्वयं, एक में पत्नी व बच्चे और एक में उसके बुजुर्ग पिता रह रहे थे, जो कभी भी भगवान को प्यारे हो सकते थे।
एक दिन एक आदमी आया और कहा कि एक कमरा किराये पर चाहिए ,सुना है कि आप किरायेदारों से अच्छा बर्ताव करते हैं ,उन्हें घर के सदस्यों की तरह रखते हैं , एक कमरा यदि हो सके तो हमें भी दे दीजिए।
उस आदमी ने कहा कि अभी तो सब कमरे किराये पर लगे हैं, आप प्रतीक्षा कीजिए। कुछ दिनों में एक कमरा ख़ाली होने वाला है। एक कमरे में हमारे बीमार बुजुर्ग पिता रह रहे हैं जिनकी ख़ॉंसी की आवाज़ आ रही है। पिता बीमार हैं और उनकी उम्र भी ज़्यादा है। उनके जाने पर यह कमरा आपको मिल जाएगा।
बीमार वृद्ध पिता ने यह बात सुनी तो उनकी आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। जिस बेटे को बड़े अरमानों से कष्ट झेल कर पाल पोस कर बड़ा किया ,उसका अपने पिता के प्रति ऐसा रूखा व्यवहार कि वह उनके निधन की प्रतीक्षा कर रहा है और उसे भी लाभ मान रहा है।