बुढ़ापे का मज़ा लीजिये
बुढ़ापे का मज़ा लीजिये
जीवन की आपाधापी में, चैन का एहसास कीजिये,
बेवजह की चिंता छोड़कर, बुढ़ापे का मज़ा लीजिये।
शरीर पर झुर्री, बालों में चांदी, है तो होने दीजिये,
चलने को हाथ में, छड़ी आ गयी, तो आने दीजिये।
गपशप कभी संगीत कभी, चाय पर चर्चा कीजिये,
कभी ताश, कभी फिल्म, बुढापे का मज़ा लीजिये।
कोई परेशानी हो तो, दोस्तों या परिवार में कहिये,
अपेक्षा करो ना उपेक्षा, स्वयं पर भरोसा कीजिये।
शरीर ने खूब काम किया है, थोडा आराम दीजिये,
कब तक यूं दौड़ते रहेंगे, बुढापे का मज़ा लीजिये।
ना बॉस की खिट पिट, और ना फाइलों का मेला,
ना दफ्तर का झंझट और, ना मीटींगों का झमेला।
बुढ़ापे में वक़्त गुजारना, मुश्किल नहीं मजेदार है,
दबी इच्छाएँ पूरी कीजिये, बुढापे का मज़ा लीजियेे।
मरणोपरांत सारा अनुभव, क्या साथ लेकर जायेंगे,
बच्चों को सिखाइये, उनके साथ चिट चैट कीजिये।
अच्छे बुरे सारे अनुभव, नयी पीढ़ी में बाँट दीजिये,
‘योगी’ कठिन परिश्रम बाद, बुढापे का मज़ा लीजिये।