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Yogesh Suhagwati Goyal

Tragedy

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Tragedy

आज़ादी के मायने

आज़ादी के मायने

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क्या सोच के निकले थे, और कहाँ निकल गये हैं

७२ साल में आज़ादी के, मायने ही बदल गये हैं


आज मारपीट, दहशत और बलात्कार आज़ादी है

पथराव, लूटपाट, आगजनी, भ्रष्टाचार आज़ादी है

आरक्षण और अनुदान मूल अधिकार बन गये है

आज वासुदेव कुटुम्बकम के मायने बदल गये हैं


आज अलगाव, टकराव और भेदभाव आज़ादी है

संकीर्णता, असहिष्णुता, और बदलाव आज़ादी है

लालची, निठल्ले और उपद्रवीयों का बोलबाला है

सम्मान, संवेदना और सद्भाव का मुंह काला है


सड़क पे निजी और धार्मिक कार्यक्रम आज़ादी है

आज भीड़ द्वारा संदिग्ध की मार पीट आज़ादी है

सर्वजन हिताय पर निजी स्वार्थ हावी हो गये हैं

जिओ और जीने दो, जाने कहाँ दफ़न हो गये हैं


आज शराब के नशे में वाहन दौड़ाना आज़ादी है

मल मूत्र के लिये कहीं भी बैठ जाना आज़ादी है

संवाद ना कर विवाद बनाना, आदत बन गये है

ध्रष्टता और मनमर्जी, आज आज़ादी बन गये हैं


क्या सोच कर चले थे, और कहाँ निकल गये हैं

‘योगी’ आज आज़ादी के, मायने ही बदल गये हैं


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