शेप में आना होगा
शेप में आना होगा
इस मोटापे ने जीवन में गदर मचा रखा है
कौन सा गुनाह किया जो इतना सता रखा है
पेट के बहाने दिल पर, हमले की तैयारी है
राम जाने आगे किस नयी जंग की बारी है
बचपन और आज में, ऐसा क्या बदल गया
मैं वही हवा पानी वही, नया क्या घट गया
बचपन में तो शरीर का कद बढ़ा करता था
पर आज उसी खानपान से पेट निकल गया
पिज्जा पकौड़ी नाम से मुंह में पानी आता है
दो कदम चला नहीं जाता, दम फूल जाता है
१५० ग्राम की कचौरी, वजन १ किलो बढ़ता है
आजकल तो खाना सूंघना भी भारी पड़ता है
मन का खाना नहीं, मन का पहनावा नहीं
अपनी नज़रों में ही, खुद को गिरा रखा है
योगी अब तो खुद से खुद को चुराना होगा
कोई चारा नहीं बचा है शेप में आना होगा