बस एक अजीब सी ख़ामोशी है यहाँ, एक ठहरा हुआ समय हो जैसे। बस एक अजीब सी ख़ामोशी है यहाँ, एक ठहरा हुआ समय हो जैसे।
जब तक तथाकथित बड़े ओहदेवाले असल मुद्दों पर कब्र की मिट्टी डालकर। जब तक तथाकथित बड़े ओहदेवाले असल मुद्दों पर कब्र की मिट्टी डालकर।
जख्म अपना बताना नहीं चाहता मैं किसी को रुलाना नहीं चाहता। जख्म अपना बताना नहीं चाहता मैं किसी को रुलाना नहीं चाहता।
इन बेरहमों की बेईमानी का क्या करें...? इन बेरहमों की बेईमानी का क्या करें...?
इन पर हमारी पैनी न, सही मगर नज़र तो बनी ही रहती है ! इन पर हमारी पैनी न, सही मगर नज़र तो बनी ही रहती है !
इस घोर अंधेरी कलियुग में कुछ भाई ऐसे होते हैं।। इस घोर अंधेरी कलियुग में कुछ भाई ऐसे होते हैं।।
हर प्राणी बेचैन है, धरती हुई अधीर। इंद्रदेव कर के कृपा, बरसा दो कुछ नीर।। हर प्राणी बेचैन है, धरती हुई अधीर। इंद्रदेव कर के कृपा, बरसा दो कुछ नीर।।
धिक्कारेगा तुम्हें ये कड़वा सच जिसे कहने से तुम डरते हो। धिक्कारेगा तुम्हें ये कड़वा सच जिसे कहने से तुम डरते हो।
कड़ी मेहनत और अपनी कमियों को हटाकर खूबियां में बदलने की ताकत होती है। कड़ी मेहनत और अपनी कमियों को हटाकर खूबियां में बदलने की ताकत होती है।
मन में कैसा पाला ये दोष है ऐसे लालच से ही रिक्त होता देश कोष है। मन में कैसा पाला ये दोष है ऐसे लालच से ही रिक्त होता देश कोष है।
हम अपनी मेहनत की लकीरों में अपनी कामयाबी देख जाते हैं। हम अपनी मेहनत की लकीरों में अपनी कामयाबी देख जाते हैं।
मरने भी नहीं दे रहा, ना ही जीने दे रहा । ना मुझे मार रहा, ना जिंदा रख रहा ।। मरने भी नहीं दे रहा, ना ही जीने दे रहा । ना मुझे मार रहा, ना जिंदा रख रहा ।।
बस हिन्दी दिवस पर ही हिन्दी के हम अग्रदूत बन जाते हैं। बस हिन्दी दिवस पर ही हिन्दी के हम अग्रदूत बन जाते हैं।
वक्त निकलता जा रहा कैसी बेतहाशा ये दौड़ है। वक्त निकलता जा रहा कैसी बेतहाशा ये दौड़ है।
झुर्रियां यूं ही पेशानी पे नहीं होगी कई दिन,धूप-छांव ढल चुकी होगी। झुर्रियां यूं ही पेशानी पे नहीं होगी कई दिन,धूप-छांव ढल चुकी होगी।
दौड़ रहे हैं आँख मूँद कर सपनों के पीछे गिद्ध, छडूंदर, घोड़ा, हाथी, चमगादड़, तीतर।। दौड़ रहे हैं आँख मूँद कर सपनों के पीछे गिद्ध, छडूंदर, घोड़ा, हाथी, चमगादड़, ...
मुझे आज तक समझ नहीं आया कि आखिर वो मुझमें चाहता क्या है.. मुझे आज तक समझ नहीं आया कि आखिर वो मुझमें चाहता क्या है..
हे शरणागत वत्सल तेरी पद रज लेने आया हूँ।। हे शरणागत वत्सल तेरी पद रज लेने आया हूँ।।
विधाता ने जाने खलल क्यों ये डाला मेरी माँ को बेवक्त....क्यों मार डाला विधाता ने जाने खलल क्यों ये डाला मेरी माँ को बेवक्त....क्यों मार डाला
चल पड़े हम एकता भरे जगहों में, क्या देख पा रहें खुद को अमन की राहों में? चल पड़े हम एकता भरे जगहों में, क्या देख पा रहें खुद को अमन की राहों में?