सुन नहीं सकूँगी मैं टन - टन ज़िंदगी की ! मैं कौन हूँ........। सुन नहीं सकूँगी मैं टन - टन ज़िंदगी की ! मैं कौन हूँ........।
अब आख़री आँच से भस्मीभूत ही कर दो मेरा अस्तित्व कि तुम निजात पाओ मेरी ख़्वाहिशों से। अब आख़री आँच से भस्मीभूत ही कर दो मेरा अस्तित्व कि तुम निजात पाओ मेरी ख़...
यह कविता समाज में किसान के साथ होते अन्याय को आवाझ देती है । यह कविता समाज में किसान के साथ होते अन्याय को आवाझ देती है ।
ये कविता आतंकवाद से जहन्नुम बनती ज़िंदगी की आवाज़। ये कविता आतंकवाद से जहन्नुम बनती ज़िंदगी की आवाज़।
यह कविता महिलाओ के साथ समाज में होते अत्याचारो की कहानी है। यह कविता महिलाओ के साथ समाज में होते अत्याचारो की कहानी है।
मौत औरों को डराती है, पर मांगू को बिल्कुल नहीं। क्योंकि शमशान ही उसकी कर्मभूमि है, शमशान ही उसके... मौत औरों को डराती है, पर मांगू को बिल्कुल नहीं। क्योंकि शमशान ही उसकी कर्मभूम...
हनन होता है मेरे अधिकारों का जब , टीस अथाह उठती है मेरे मन में ! अधिकारों के लिए लड़ू तो चालाक , न... हनन होता है मेरे अधिकारों का जब , टीस अथाह उठती है मेरे मन में ! अधिकारों के ल...
आँखों के चिरागों से , उनको रोशन कर दिया ! फ़िर भी धुँधलापन लिए , हम अंधेरों में गुम हुए ! फ़िर भी ... आँखों के चिरागों से , उनको रोशन कर दिया ! फ़िर भी धुँधलापन लिए , हम अंधेरों मे...
एक नया रिश्ता हो , फिर नई शुरुआत हो बड़ी हिम्मत से मैंने उस पोटली की गिरहें खोली कुछ भी तो ऐसा नह... एक नया रिश्ता हो , फिर नई शुरुआत हो बड़ी हिम्मत से मैंने उस पोटली की गिरहें खो...
यह कविता भृणहत्या पर पर कटाक्ष है। यह कविता भृणहत्या पर पर कटाक्ष है।
माँ - बाप को चाहिए नोट उनको दिखता नहीं कोई खोट जीवन उनका ऐसा माचिस की तीली जैसा जलाने में लग... माँ - बाप को चाहिए नोट उनको दिखता नहीं कोई खोट जीवन उनका ऐसा माचिस की तीली...
बहुत दुख होता है देखकर अपनी सुपर वुमन को इस हाल पर। बहुत दुख होता है देखकर अपनी सुपर वुमन को इस हाल पर।
कोशिश करें कि कोई भी स्त्री बेवफ़ा ना होने पाए और अपने रिश्ते को भरपूर जीये। कोशिश करें कि कोई भी स्त्री बेवफ़ा ना होने पाए और अपने रिश्ते को भरपूर जीये।
इसलिए जब थक जाती हूँ बहुत तो खुद को समेटकर फिर से चल देती हूँ...। इसलिए जब थक जाती हूँ बहुत तो खुद को समेटकर फिर से चल देती हूँ...।
बेटी दे कर भी जाने क्यूँ ? लड़की वाले सिर झुकाते है अरे ! सुनो समाज के ठेकेदारों, इस प्रथा के का... बेटी दे कर भी जाने क्यूँ ? लड़की वाले सिर झुकाते है अरे ! सुनो समाज के ठेकेदा...
म सब पंचतत्व से निर्मित , हमें इस मिट्टी में ही मिल जाना है , बस जाते - जाते इस मिट्टी में , पलाश... म सब पंचतत्व से निर्मित , हमें इस मिट्टी में ही मिल जाना है , बस जाते - जाते इ...
दो कोड़ी पैसों के लिए, सब मरने को तैयार। हार-जीत की आग में, टूट गया परिवार। दो कोड़ी पैसों के लिए, सब मरने को तैयार। हार-जीत की आग में, टूट गया परिवार।
अगले दिन छपकर आया यह अखबारों में, पत्रकार का खून लगा है कुछ 'अज्ञातों' की तलवारों में। अगले दिन छपकर आया यह अखबारों में, पत्रकार का खून लगा है कुछ 'अज्ञातों' की तलवार...
घर आंगन छोड़ कर कहां उड़ गई गौरैया रानी। घर आंगन छोड़ कर कहां उड़ गई गौरैया रानी।
बिना शोर किए वो खिड़कियां बंद हो जाती हैं जैसे इस शहर में कुछ हुआ ही न हो बिना शोर किए वो खिड़कियां बंद हो जाती हैं जैसे इस शहर में कुछ हुआ ही न ह...