मेरी रचनाओं पर अपना बहुमूल्य समय दीजिए क्या पता मेरे शब्दों से आपको दोस्ती हो जाए
Share with friendsAs Sharma Ji was a kind-hearted man so his opinion was to rejuvenate the government sch
Submitted on 28 Jan, 2020 at 04:54 AM
लहरें अब बहुत से उठने लगी थी जैसे कह रही हो, "हां सब कुछ परफैक्ट ही तो है।"
Submitted on 21 Jan, 2021 at 17:11 PM
तेज हवा के झोंकों ने वृक्षों की डालियों को हिला हिला कर ऐसा दृश्य उत्पन्न कर दिया था मानो देवासुर संग्राम चल रहा हो। बिज...
Submitted on 08 Oct, 2020 at 14:35 PM
मां की नहीं आंखें तो उसकी धुंधली थीं जो कभी मां के मन के भाव को देख नहीं पाईं।
Submitted on 15 Sep, 2020 at 17:36 PM
उसके हाथ बिना उसके नियंत्रण के उस लड़की का स्केच बनाने में व्यस्त थे।
Submitted on 11 Sep, 2020 at 10:57 AM
कुछ लोग जीवन में ऐसे मिलते हैं जो अपनी यादें अमिट छोड़ जाते हैं।
Submitted on 10 Sep, 2020 at 01:38 AM
भूख से खुद उसका हाल बुरा था लेकिन वह जानती थी अगर खा लेगी तो अमित नाराज़ हो जाएगा।
Submitted on 08 Sep, 2020 at 08:42 AM
मैनें तो पिज्जा आर्डर कर दिया तुम्हें इन छोटे लोगों के यहां का खाना हो तो खा लेना
Submitted on 06 Sep, 2020 at 19:46 PM
आदर्श के प्यार के पिंजरे में भी वह एकाकीपन की शिकार बनती चली जा रही थी।
Submitted on 06 Sep, 2020 at 08:59 AM
मैंने उनके चेहरे से वह ओज भरी मुस्कान कभी ग़ायब नहीं देखी।
Submitted on 03 Sep, 2020 at 16:42 PM
एक आँख अभी भी पलकों के जबरदस्त चिपके होने से नहीं खुल पा रही थी
Submitted on 23 Aug, 2020 at 17:24 PM
मेरी ममता बिकाऊ नहीं मैं तो इसे अपना बेटा समझती रही हूं"
Submitted on 22 Aug, 2020 at 07:46 AM
झूठ बोलकर ही सही उन्होंने अपनी जेठानी को उनके हिस्से की कुछ खुशियां दे दी थीं।
Submitted on 22 Aug, 2020 at 05:35 AM
अपनी देशभक्ति के जज्बे से मर कर भी बल्लू अमर हो गया था। अब वह भी अमर जवान था।
Submitted on 22 Aug, 2020 at 05:29 AM
अब वह अपशगुनी अवांछित नहीं उनकी वर्दी वाली बेटी थी उनकी शेरनी जीवा।
Submitted on 22 Aug, 2020 at 05:23 AM
मैं आस्था का विरोधी नहीं था पर मेरे विरोध का कुछ कारण था। मैंने उन्हें समझाया यहां से कस्बा लगभग सौ किलोमीटर दूर था वहा...
Submitted on 20 Aug, 2020 at 23:14 PM
अगले दिन मालती रश्मि के साथ झुमकी का स्कूल में दाखिला कराने जा रही थी....
Submitted on 17 Aug, 2020 at 08:43 AM
युवावस्था के रथ पर तो उसने अभी सवारी करी थी कि रथ भरभरा कर गिर गया था ।
Submitted on 03 Aug, 2020 at 01:34 AM
लेकिन रवि की खुशी में ही उन्होंने अपनी खुशी ढूंढने का मन बना लिया था।
Submitted on 22 Apr, 2020 at 07:27 AM
सकारात्मक कैसे लिया जाए यह सभी को अप्रत्यक्ष रूप से सिखाया।
Submitted on 16 Apr, 2020 at 17:33 PM
थोड़ी देर में ही वहां इस्पेक्टर से मिलकर उसे समझ में आ गया था कि वह डेढ़ माह से गुमशुदा।
Submitted on 14 Apr, 2020 at 17:30 PM
फिर नीचे गिरे पल्ले को देखकर बोला ,"अरे यह कैसे गिर गया।"
Submitted on 08 Apr, 2020 at 16:04 PM
रूममेट की भाभी के यहां भी ऐसे खाए आए थे जैसे कि अपने घर खाते हैं।
Submitted on 04 Apr, 2020 at 18:11 PM
स्वाद स्वाद में इतना खा लिया कि अब कमबखत पेट दुश्मन बन रहा था।
Submitted on 03 Apr, 2020 at 17:09 PM
पत्नी ने दरवाजा खुलते ही मुझसे पूछा, "यह कौन सा ओवरटाइम है जो 4:00 बजे तक चलता है।"
Submitted on 26 Mar, 2020 at 18:28 PM
अपनी घराने की बहू को देखकर दूर कहीं सरल की मां की आत्मा आज संतृप्त थी।
Submitted on 22 Mar, 2020 at 17:56 PM
और रश्मि वह तो मगन अपने अनरोमांटिक पति के साथ बाइक की सवारी का आनंद ले रही थी।
Submitted on 21 Mar, 2020 at 17:16 PM
जिस समारोह में हम गए थे उसमें उस बेटे ने अपनी मां को नया सेल फोन भेंट किया।
Submitted on 19 Mar, 2020 at 13:34 PM
उनको टहलते देख एक मीठी मुस्कान राजीव और रजनी के होठों पर फैल गई।आज अपने इमोशनल अत्याचार
Submitted on 11 Mar, 2020 at 18:24 PM
अब तो मैंने एमबीए भी कर लिया था और अपने निर्णय लेने में पूर्णता स्वतंत्र व सक्षम था
Submitted on 10 Mar, 2020 at 10:59 AM
हमेशा शानदार भाषण देने वाली रति बिना एक शब्द बोले मंच से नीचे उतर आई।
Submitted on 05 Mar, 2020 at 18:39 PM
मैडम पर कोई उत्तर नहीं था। कक्षा में अब और ज्यादा शांति थी।
Submitted on 28 Feb, 2020 at 08:48 AM
विद्यालय में जहां राजीव साधारण शिक्षक थे वही अविनाश मुख्य अतिथि थे।
Submitted on 20 Feb, 2020 at 08:50 AM
जीवन पथ पर साथ छोड़ चले पति के स्मरण कर उसका हृदय आज बहुत व्यथित था।
Submitted on 14 Feb, 2020 at 08:27 AM
अंदर हॉल में पहुंची तो आवाज आई ,"आ अब लौट चलें अपनी संगीत की दुनिया में।" आवाज सुनकर व
Submitted on 30 Jan, 2020 at 07:14 AM
शिल्पी की हंसी से गूंज रहा था और मेज पर रखे गेंदे के फूल मुस्कुरा रहे थे।
Submitted on 27 Jan, 2020 at 08:39 AM
एक आम इंसान को फ़ौजी तभी याद आते हैं जब देश लड़ाई की स्थिति में हो
Submitted on 11 Jan, 2020 at 04:02 AM
अपने सामने पाया एक ऐसी कम उम्र की युवती को जिसे रचने में प्रकृति ने कंजूसी बरती थी
Submitted on 10 Jan, 2020 at 05:13 AM
मैं हमेशा अपनी बाहें फैलाए तुम्हारे स्वागत को तैयार हैं।"
Submitted on 09 Nov, 2019 at 03:05 AM