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Vivek Mishra

Tragedy

4.5  

Vivek Mishra

Tragedy

सौदा

सौदा

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किसी ने दी सलाह कि जैसे,

गहना कोई जौहरी को देकर नया ले आता हैं

वैसे ही एक नया लम्हा लेकर घर आओ


एक नया रिश्ता हो , फिर नई शुरुआत हो


बड़ी हिम्मत से मैंने उस पोटली की गिरहें खोली

कुछ भी तो ऐसा नहीं था कि एक्सचेंज करवा लेता।


जौहरी क्या परखेगा मेरे पुराने, कीमती रिश्तों को

सब ख़ास हैं, एंटीक पीस से सब के सब


कुछ तो आज भी वैसे ही चमक रहे हैं

जैसे उस वक़्त आँखों में चमका करते थे

कुछ की खुशबुएं आंख बंद करते ही

यूँ भर जाती है आज भी साँसों में,

जैसे किसी केवड़े से भीगे कपडे में

इसी दिन के लिए सहेजे थे

बाद उस खुशबू के कोई और सांस भी न आये


मैं पोटली बंद कर वापस सहेज कर रख आया


मुझसे ये सौदा नहीं होता••••


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