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संजय असवाल "नूतन"

Tragedy

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संजय असवाल "नूतन"

Tragedy

जब से तुम गई हो !

जब से तुम गई हो !

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छोटी बहन नूतन को श्रद्धांजलि..!

जब से तुम गई हो 

घर उदास सा रहने लगा है

हर कमरे दरों दीवारों में 

सन्नाटा सा पसरा है,


हर तरफ बैचैनी, मायूसी 

एक अजीब सी चुप्पी छाई है

सोते जागते यहां वहां

बस तुम्हारी तस्वीर 

आंखों के सामने नजर आती है,


यहां सब बहुत दुःखी हैं

मन सबके बहुत व्यथित है 

आंसू भी बहते बहते 

उनके सूख गए हैं,


समय धीरे धीरे बढ़ रहा है

पर दीवारों पर लगे कैलेंडर 

अब भी वही पुराने टंगे हैं,

तुम्हारी लाई हर चीज पहले जैसी है

बस कमी है 

तो बस तुम्हारी है,


तुम्हारा अहसास हर कमरे में मौजूद है

लगता है तुम कहीं किसी कमरे में 

खुद में व्यस्त हो

कपड़ों की तह बनाते

या किचन में पकवान पकाते,


पर सच यही है

कि तुम अब हमारे बीच नहीं हो,

जब से तुम गई हो

सब बहुत बदल गए हैं


अब सब पहले जैसा भी नही रहा,

बेशक हवा अब भी मंधम मंधम बह रही है 

पंछी उस आम की डाली में 

अब भी चिचियाते हैं 

जिसके नीचे तुम अक्सर दाना डालने

जाया करती थीं,


गाय गेट पर आकर 

अक्सर रंभाती है

शायद तुम्हें ही याद करती है

पर उसे रोटी देने वाली अब नहीं है,


तुम्हारी बालकनी को चूमते

आम के पेड़ पर बौर निकल आए हैं 

पत्ते नए कुछ अभी कुमलाएं हैं,

गिलहरियां उछल कूद 

पहले सी कर रही हैं


हां, तुम्हारे लगाए पौधों में 

कुछ में फूल खिल गए हैं 

कुछ तुम्हारे स्पर्श बिना सूख गए हैं,

बच्चे अब बहुत अकेले हो गए हैं

खुद ही अपनी जीवन गाड़ी को 

पटरी पर खींच रहे हैं,


छोटू पहले जैसा नहीं रहा 

खुद स्कूल के लिए तैयार हो जाता है

ना अब पहले वाली जिद करता है

बस खोया खोया रहता है

अक्सर अपने दोस्तों संग 

खेलने भी चला जाता है 

अब उसे कोई 

रोकने टोकने वाला नहीं है

फिर भी समय पर 

खुद ब खुद लौट आता है,


बिटिया तुम्हारी तस्वीर को देख 

पहले खूब रोती थी 

पर अब संभल गई है 

खुद में व्यस्त रहने लगी है, 


किचन में अब वो पहले वाला 

बर्तनों का शोर नहीं है

ना पहली वाली 

तेरे हाथों बने खाने की खुशबू,

तेरा लाया मटका याद है ना...

अब उसमे कोई पानी नहीं भरता 

शायद कुछ समय बाद 

वो भी कहीं टूटा फूटा 

किसी कोने में मिले,


मंदिर में अब पहले सी 

दिया बाती नही जलती

तुम्हारे चढ़ावे के आखिरी फूल 

अब भी मूर्तियों पर वहीं

इधर उधर बिखरे पड़े हैं,


हर कमरे में 

तुम्हारी खुशबू है

सच तुम्हारी कमी 

बहुत महसूस होती है,

दीवार पर टंगी तुम्हारी फोटो 

बस हमे देखती रहती है

लगता है 

जैसे अभी बोल पड़ेगी,


जब से तुम गई हो 

जिंदगी जिंदगी ना रही

बस जी रहे हैं सब

तुम्हारे यादों के सहारे

तुम्हारे बिना....!!


तुम गई तो

सब कुछ बदल गया

अब पहले जैसा भी

कुछ नहीं रहा

बस खालीपन है

आंखों में सबके

और दिल में 

घोर सन्नाटे ........!


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