...पंच केदार...
...पंच केदार...
पर्वतों की गोद में बसे, पंच केदार है मान,
भक्ति की धारा बहती जिस पर, मिलता मन को ध्यान।
केदारनाथ की ऊंची चोटियां,शिव की महिमा गाती,
त्रासदी में भी अडिग खड़े, आशा की लौ जगाती।
मध्यमहेश्वर शांत सुन्दर, बहती नदी की धार,
ध्यानस्थ होकर शिव यहाँ, करते जन उद्धार ।
तुंगनाथ है दिव्य धाम, ऊँची जिसकी शान,
बादल ओढ़े मौन खड़ा वो, देता शिव का ज्ञान।
रुद्रनाथ की कंदराओं में, गूंजे रौद्र स्वरूप,
यहीं तपस्या की धुन मिलती, मिटते पाप अनूप।
कल्पेश्वर में झरनों संग, शिव जटाओं का वास,
भक्तों को देता वरदानी, निर्मल शक्ति का आभास।
पर्वत, घाटी, वन, पगडंडियां, सब कहते एक ही बात,
पंच केदार की इस धरती पर, शिव ही शिव दिन-रात।
चलो नतमस्तक हो मन से,पाएं शांति अपार,
भक्ति, शक्ति, मोक्ष का पथ है, यह पावन पंच केदार।
