शब्द नाद
शब्द नाद
शब्द नाद ने
ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
कभी वचन,
कभी प्रवचन ,
कभी वरदान ,
कभी आकाशवाणी से
स्वच्छंदित कर दिया ।
शब्दों के बाणों ने रचे
ये वेद ,पुराण ,रामायण ,
महाभारत और
गीता के उपदेश ।
शब्द नाद ने
ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
कैकेयी के तीन वचन
मंथरा ने हथियार बना
राम को वन पहुँचा दिया ।
केवट के कथन ने
राम का मन मोह लिया ।
शबरी के झूठे बेरों की
भाषा ने भक्ति का
नव द्वार खोल दिया ।
शूर्पणखा की प्रतिकार
भरी ध्वनि ने राम द्वारा
रावण का वध करा दिया ।
शब्द नाद ने
ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
भीष्म की प्रतिज्ञा ने
महाभारत की नींव
रखने का कार्य कर दिया।
कुंती कुछ स्वरों की
परीक्षा लेने चली तो
कर्ण फल स्वरूप आए
तो वाहिनी में बहा दिया ।
ऋषि ने शाप दे
पाण्डू को जीवन से
ही मुक्त कर दिया ।
धृतराष्ट्र की महत्वाकांक्षाओं ने
भाषा का रूप ले
दुर्योधन को अपना ही
प्रतिद्वंद्वी बना दिया ।
द्रौपदी के व्यंग्य ने
दुर्योधन को प्रतिशोध
की आग में जला दिया ।
अश्वत्थामा कहते
आज भी जीवित
पर घोष ने
मृत घोषित कर दिया ।
युद्ध में कृष्ण की
गीता ने अर्जुन को
विजयी बना दिया ।
शब्द नाद ने
ब्रह्माण्ड को गुंजित कर दिया ।
एक आकाशवाणी ने
सर्वश्रेष्ठ भाई को
कंस बना दिया ।
राधा के स्वन ने
कृष्ण को
प्रेमी बना दिया ।
गोकुल की पुकार ने
नंदलाला को
गिरिधर बना दिया ।
गोपियों के अधर से
निकला कान्हा तो
गोकुल के गोपाल को
रास- रचैया बना दिया ।
शब्द नाद ने
ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
इन नादों ने
मनु की संतान को
भगवान बना दिया ।
इन्हीं निनादों ने
मानव की संतानों को
हिरण्यकश्यप-सा बना दिया ।
इन कथनों ने
कहीं तोड़ा तो
कहीं जोड़ना सिखा दिया ।
इन लफ़्ज़ों ने
मनुष्य के रिश्तों को
मजबूत बना दिया ।
शब्द नाद से
ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
शब्दों के खेल ने
इतिहास बदल दिया ।
परतंत्र देश को
स्वतंत्र कर दिया
"तुम मुझे खून दो
मैं तुम्हें आजादी दूँगा ",
"स्वतंत्रता मनुष्य का
जन्म सिद्ध अधिकार है "
न जाने ऐसे कितने
शब्द-घोषों ने
अंग्रेजों को छलनी कर दिया ।
निष्ठुर हृदय का
हृदय परिवर्तन कर दिया ।
शब्द नाद से
ब्रह्मांड गुंजित कर दिया ।
स्वतंत्र देश को
स्वावलंबी बनाने के लिए
"जय जवान जय किसान"
ने चमत्कार कर दिया ।
"अच्छे दिन आने वाले हैं"
नारे ने जादू कर दिया ।
वर्ण तो वो ही बावन
पर वर्णों के फेर-बदल ने
जीवन बदल दिया ।
शब्द नाद ने
ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
कहीं शाप कहीं वरदान
कहीं दूर्वचन कहीं प्रवचन
कहीं शीतल कहीं अग्नि
कहीं मौन कहीं ध्वनि ।
शब्दों के इर्द-गिर्द
नृत्य करता इंसान ।
अब तक सीख न पाया
ढाई आखर प्रेम का ,
और स्वयं के अहंकार में
स्वयं को जला दिया ।
शब्दों पर अंकुश लगा तो
उन्होंने निनाद , स्वन,
संघ ,घोष से विश्व को
जागृत कर दिया ।
शब्द नाद ने
ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।