वरना मत लहराना झंडा
वरना मत लहराना झंडा
ऐ देश आज स्वतंत्रता दिवस पर
मुझे मुक्त कर दे
इस दर्द से
वो कहीं भी छूने का दर्द
वो शर्मसार शब्दों का दर्द
वो तेरी चुभती निगाहों का दर्द
वो तेरी जबरदस्ती का दर्द
वो तेरा पशु से बदतर बनना
दे जाना गहरे जख्मों का दर्द ,
तू एक बार भटकता
जीवनभर चीखता ये दर्द ।
काश तू सुन पाता
अंतः का तड़पना,
छटपटाना, फड़फड़ाना ।
काश तू सुन पाता
उस पीड़ा का दर्द
तो कराह उठते तेरे दर्द ।
आज शपथ ले
अपनी माँ, बहन, भार्या, बेटी को
इस दर्द से मुक्त करने की
वरना मत लहराना
झंडा अपने भावनों पर ।
