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अच्छा एक काम कर। कल सुबह तक घर आजा।" अच्छा एक काम कर। कल सुबह तक घर आजा।"
शिवनाथ जी सुनीता को सारा दिन व्यस्त और चिंतित देखते तो बहुत दुखी होते। शिवनाथ जी सुनीता को सारा दिन व्यस्त और चिंतित देखते तो बहुत दुखी होते।
कई वर्ष बीत गये उसे देखते- देखते। मन में कई सवाल उठते कई वर्ष बीत गये उसे देखते- देखते। मन में कई सवाल उठते
उदास होते हुए पापा को बोला, "पापा, मुझे बर्फ का गोला खाना है।" उदास होते हुए पापा को बोला, "पापा, मुझे बर्फ का गोला खाना है।"
रीतिका के कदमों की आहट से उसकी नींद खुल गई। रीतिका के कदमों की आहट से उसकी नींद खुल गई।
किताबें ही किताबें थी और किताबों पर बहुत सी धूल जमी हुई थी किताबें ही किताबें थी और किताबों पर बहुत सी धूल जमी हुई थी
अब रमा ने आश्रम के बच्चों का ध्यान दूसरों की भलाई में केन्द्रित करना शुरू कर दिया। अब रमा ने आश्रम के बच्चों का ध्यान दूसरों की भलाई में केन्द्रित करना शुरू कर दिय...
इतना अपनापन उसने बचपन से लेकर आज तक कभी भी अनुभव न किया था इतना अपनापन उसने बचपन से लेकर आज तक कभी भी अनुभव न किया था