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Manju Rani

Tragedy Classics Inspirational

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Manju Rani

Tragedy Classics Inspirational

काल के जंजाल से

काल के जंजाल से

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भूत से डरते

भविष्य की चिंता करते

ऐसे ही हम वर्तमान में जीते।

भूल जाते,


भविष्य, आज बन जाते,

आज, भूत बन जाते

और आज के प्रसंग

अच्छे हो ही नहीं पाते।


हम उस पल उस क्षण

को जी ही नहीं पाते !

बात बिगड़ने पर दुख

कुछ ज्यादा आंकते,

सुखों को कभी स्मृति

पट पर आने ही नहीं देते।


हम स्वयं ही स्वयं से लड़ते।

न भूत के आंकने

से भविष्य बनते,

न भविष्य की चिंता

से भूत सुधरते।


यह बात हम

समझ ही नहीं पाते।

वो पल वो क्षण

जिसके हम स्वामी

वो ही नहीं जी पाते।


और

फिर लंबे-लंबे अरमान

दिल तोड़ देते।

उन अरमानों के

अंतिम संस्कार में

भविष्य गवा देते।


यह कैसी विडंबना

हम काल में फंस

कर रह जाते।

कर्म चौखट पर दस्तक

देते ही रह जाते।


हम कामचोर इंसान समय

को दोष देते ही जाते।

समय की सूइयों में

उलझते ही चले जाते।

आज को कल के कंधों

पर डालते ही जाते।


सफलता के पट पर कभी

हमारे नाम लिखे ही नहीं जाते।

हम भूत, भविष्य, वर्तमान

सब सुधारना चाहते।


पर आज का एक पल भी निष्ठा

को समर्पित कर नहीं पाते।

जो खग भोर में दाना चुगने जाते

संध्या में वो ही उल्लास संग लौटते

बस यही हम भूल जाते।


वृक्ष साल भर एक

प्रक्रिया से गुजरते

तब समय पर फल दे पाते।

वे किसी काल से नहीं बंधते

बस अपना कर्म करते ही जाते।

उनके जीवन में आपदाएँ आती

तो सहर्ष झेल जाते।


हम आपदाएँ बुलाते

और झेल भी नहीं पाते।

चलो निकले इस

काल के जंजाल से

और

ये क्षण, ये पल

यादगार बना जाते।


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