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PRATAP CHAUHAN

Tragedy

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PRATAP CHAUHAN

Tragedy

रोटी की मगजमारी

रोटी की मगजमारी

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एक गरीब की जिंदगी का हर रोज,

रोटी की मगजमारी से शुरू होता है।

"गरीबी" से कोई दोस्ती नहीं करना चाहता,

क्योंकि इसका अस्तित्व ही लाचारी से शुरू होता है।


इस गरीबी का असर क्या है ?

यह तो वही जाने...!

जो घूमता है कचरे के ढेर पर,

सिर्फ एक निवाला खाने।

मैंने गरीबी को करीब से देखा है,

खस्ता हालत देखकर बहुत हंसती है।


कितनी भी कर लो मेहनत,

और बहा दो पसीना......!

गरीबी वह हठीली हसीना है,

जो छोड़ती नहीं गरीब को..!

और ना ही उसकी बातों में फंसती।


छीन लेती है सब कुछ गरीबी,

रोटी कपड़ा और मकान।

भटकना पड़ता है दर-दर निवाले के लिए,

और सुस्ताने को भी नहीं मिलता कोई मचान।


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